वाशिंगटन: अमेरिका में रह रहे 42 लाख भारतीय-अमेरिकियों में से करीब 6.5 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और कोविड-19 महामारी की वजह से समुदाय में गरीबी बढ़ने की आशंका है. यह तथ्य हाल में हुए एक शोध में सामने आया है.


करीब 20 प्रतिशत लोगों के पास अमेरिकी नागरिकता भी नहीं


जॉन हॉपकिंस स्थित पॉल नीत्ज स्कूल ऑफ एडवांस्ड इटंरनेशनल स्टडीज के देवेश कपूर और जश्न बाजवात द्वारा ‘ भारतीय-अमेरिकी आबादी में गरीबी’ विषय पर किए गए शोध के नतीजों को बृहस्पतिवार को इंडियास्पोरा परोपकार सम्मेलन-2020 में जारी किया गया. कपूर ने कहा कि बंगाली और पंजाबी भाषी भारतीय अमेरिकी लोगों में गरीबी अधिक है. उन्होंने कहा कि इनमें से एक तिहाई श्रम बल का हिस्सा नहीं हैं जबकि करीब 20 प्रतिशत लोगों के पास अमेरिकी नागरिकता भी नहीं हैं.


सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कदम उठाए जाएंगे- इंडियास्पोरा के संस्थापक


इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी ने कहा, ‘‘ इस रिपोर्ट के साथ, हम सबसे अधिक वंचित भारतीय अमेरिकियों की अवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं.’’ रंगास्वामी ने कहा, ‘‘ कोविड-19 के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए यह उचित समय है कि आमतौर पर सम्पन्न मानेजाने वाले हमारे समुदाय में मौजूद गरीबी के प्रति जागरूकता पैदा की जाए और इस मुद्दे को उठाया जाए. हमें उम्मीद है कि इस रिपोर्ट से इस विषय की ओर ध्यान आकर्षित होगा और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.’’


कपूर के मुताबिक अध्ययन से भारतीय अमेरिकी समुदाय में दरिद्रता की विस्तृत स्थिति का पता चला है. हालांकि, श्वेत, अश्वेत और हिस्पैनिक अमेरिकी समुदाय के मुकाबले भारतीय अमेरिकियों के गरीबी का सामना करने की संभावना कम है.