वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय-अमेरिकी वोट बैंक में अब तक के किसी रिपब्लिकन राष्ट्रपति की तुलना में सर्वाधिक पैठ बनाई है. एक अध्ययन में यह दावा किया गया है, जो डेमोक्रेटिक पार्टी को इस बारे में आगाह करता है कि इस प्रभावशाली समुदाय के समर्थन को अनदेखा नहीं किया जा सकता.


‘इंडियाजपोरा एंड एशियन अमेरिकन एंड पैसिफिक आइलैंडर’ (एएपीआई) डेटा की तरफ से किए गए सर्वे से मंगलवार को यह प्रदर्शित हुआ कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय की बहुसंख्यक आबादी अब भी पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडेन का समर्थन करती है, जो तीन नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार हैं.


ट्रंप भारतीय-अमेरिकी समुदाय के समर्थन की कवायद में जुटे


अध्ययन में यह पाया गया कि दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव लड़ रहे 74 साल के ट्रंप भारतीय-अमेरिकी समुदाय के वोट बैंक में अपने लिए समर्थन जुटाने की कवायद कर रहे हैं, जबकि तथ्य यह है कि बाइडेन (77) का समुदाय के साथ एक मजबूत संबंध है और पिछले कुछ सालों में द्विपक्षीय संबंधों में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई है. बाइडेन ने पिछले महीने भारतीय मूल की कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार नामित कर इतिहास रच दिया.


66 फीसदी भारतीय-अमेरिकी कर रहे हैं बिडेन का समर्थन


सर्वे के मुताबिक 66 फीसदी भारतीय-अमेरिकी अभी बाइडेन का समर्थन कर रहे हैं और 28 प्रतिशत ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, छह प्रतिशत ने कोई निर्णय नहीं लिया है. गौरतलब है कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में 77 फीसदी ने अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को वोट दिया था और 16 फीसदी ने ट्रंप को वोट दिया था. वहीं, 2012 में 84 फीसदी भारतीय-अमेरिकी ने बराक ओबामा को वोट दिया था.


यूनिवर्सिटी ऑफ केलीफोर्निया, रिवरसाइड के लोक नीति एवं राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक और एएपीआई डेटा के संस्थापक डॉ कार्तिक रामकृष्णन ने कहा कि ट्रंप को भारतीय-अमेरिकी समुदाय का समर्थन शायद 30 फीसदी तक पहुंच जाएगा, बशर्ते कि अब तक निर्णय नहीं लेने वाले लोग भी समर्थन में आ जाएं. रामकृष्णन रिसर्च के लेखक भी हैं.


भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस (अमेरिकी संसद) सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि डेमोक्रेट को निश्चित तौर पर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे भरतीय-अमेरिकी तक पर्याप्त रूप से पहुंचे. उन्होंने कहा कि पेन्सिलवेनिया, मिशिगन, फ्लोरिडा और नार्थ कैरोलाइना जैसे राज्यों में काफी संख्या में भारतीय-अमेरिकी हैं.


'ये एक ऐसा वोट जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता'


हावर्ड लॉ स्कूल लेबर एंड वर्कलाइफ प्रोग्राम की विजिटिंग फेलो और डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की पूर्व सीईओ सीमा नंदा ने कहा, ‘‘यह एक ऐसा वोट है (भारतीय-अमेरिकी का), जो इस अध्ययन से प्रदर्शित होता है कि इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती.’’


एक ओर जहां बाइडेन का समर्थन 2016 में क्लिंटन की तुलना में घटा है वहीं दूसरी ओर रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन इन चार साल में 19 फीसदी से घट कर 16 फीसदी हो गया है. इंडियाजपोरा के संस्थापक एम आर रंगास्वामी ने कहा, ‘‘दोनों बड़ी पार्टियों ने यह महसूस किया है कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय से संपर्क साधना कितना जरूरी है.’’ अमेरिका में समुदाय के 18 लाख लोग मताधिकार योग्य हैं.


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