अमेरिका: डेंगू-जीका वायरस फैलाने वाले मादा मच्छरों के खात्मे के लिए छोड़े जाएंगे 75 करोड़ नर मच्छर
जेनेटिकली मोडिफाइड मच्छर एक नर मच्छर होता है, इसे लैब में खास तरह से तैयार किया जाता है. इन मच्छरों को उन जगह पर छोड़ा जाएगा, जहा डेंगू-जीका जैसी बीमारी फैलाने वाले मादा मच्छरों की संख्या ज्यादा है.
फ्लोरिडा: अमेरिका में डेंगू, जीका जैसी बीमारी के खात्मे के लिए एक खास योजना बनाई गई है. योजना के तहत अमेरिका के फ्लोरिडा में 75 करोड़ जेनेटिकली मोडिफाइड मच्छर छोड़े जाएंगे. लैब में तैयार किए गए इन मच्छरों को छोड़ने का उद्देश्य बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों की संख्या कम करना है. इनका नाम OX5034 रखा गया है. साल 2021 में फ्लोरिडा के एक आइलैंड पर इन्हें छोड़ा जाएगा.
फ्लोरिडा में इस योजना को अगले साल पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. ब्रिटिश कंपनी ऑक्सीटेक पायलट प्रोजक्ट चलाएगी. कंपनी का कहना है कि वह पिछले कुछ सालों में 10 लाख जेनेटिकली मोडिफाइड मच्छर रिलीज कर चुके हैं. अब तक इंसान और पर्यावरण दोनों को किसी तरह का कोई खतरा होने की बात सामने नहीं आई है.
मच्छर को कैसे मारेगा मच्छर जेनेटिकली मोडिफाइड मच्छर एक नर मच्छर होता है, इसे लैब में खास तरह से तैयार किया जाता है. इन मच्छरों को उन जगह पर छोड़ा जाएगा, जहा डेंगू-जीका जैसी बीमारी फैलाने वाले मादा मच्छरों की संख्या ज्यादा है. क्योंकि मादा मच्छर ही डेंगू-जीका जैसी बीमारी फैलाते हैं. ये नर मच्छर मादा मच्छरों के साथ ब्रीडिंग करेगा.
ब्रीडिंग के दौरान नर मच्छर में मौजूद प्रोटीन मादा मच्छर में पहुंच जाएगा. इस वजह से नए पैदा होने वाले मादा मच्छर समय से पहले मर जाएंगे. धीरे-धीरे मादा मच्छरों की संख्या घटती रहेगी. जब मच्छरों की संख्या घटेगी, तो इंसानों में वायरस फैलने के मामले भी कम होंगे.
बता दें, सिर्फ मादा मच्छर ही खून पीने के लिए इंसान को काटता है, जिस वजह से इंसानों में जानलेवा बीमारियों का प्रसार हो जाता है. जबकि नर मच्छर इंसानों को नहीं काटता है. ये मच्छर भोजन के लिए फूलों के रस पर निर्भर रहता है.
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