कीव. आज सारी दुनिया महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मना रही है. गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रहों के सिद्धांत से समूची दुनिया प्रभावित है. इसी मौके पर यूक्रेन की राजधानी कीव में महात्मा गांधी की कांसे की प्रतिमा का अनावरण हुआ. भारत के राजदूत पार्थ सतपति और यूक्रेन के उप विदेश मंत्री ने प्रतिमा का अनावरण किया.


बता दें कि महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर देश-विदेश में कई कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी स्मृति में प्राथना सभा में भाग लिया. यूक्रेन में बापू की प्रतिमा का भी इसी क्रम में आज अनावरण हुआ.





मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें भारत में प्रेम से राष्ट्रपिता भी कहा जाता है की आज 151वीं जयंती है. आजादी की लड़ाई के प्रमुख नायक रहे महात्मा गांधी के विचारों से सारी दुनिया प्रभावित होती रही है. अमेरिका में बड़े समाजसुधारक मार्टिन लूथर किंग जूनियर हों या दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला. गांधी के विचारों की छाप से कोई नहीं बच सका. दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने महात्मा गांधी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी.


क्यों जरूरी हैं गांधी!
महात्मा गांधी को इस दुनिया से गए 70 साल से भी अधिक का समय हो चुका है. इसके बावजूद आखिर क्या कारण है कि उनका प्रभाव लगातार बढ़ता गया है. दरअसल जंग और हिंसा में उलझे देश और समाज को शांतिपूर्ण प्रतिरोध का सबसे बड़ा राजनीतिक हथियार जो गांधी ने दिया था वो आज भी सबसे अधिक प्रासंगिक और मारक है. चाहे वो सत्याग्रह हो या अनशन. आज भी राजनीतिक दलों का प्रभाव तभी कायम हो पाता है जब वो नैतिक स्तर पर ऊंचे प्रतिमानों को स्थापित करते हुए गांधी के रास्ते पर चलते हुए संघर्ष करते हैं. हिंसक प्रतिरोधों के बरक्स गांधी का सुझाया रास्ता कहीं ज्यादा कारगर है.