कपड़े का नया मास्क एक घंटे धूप में रहने पर 99.9% जीवाणु और वायरस को मार सकता है- अध्ययन
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक नया सूती कपड़ा विकसित किया है जो सूरज की रोशनी में आने पर ' प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन स्पाइजेस ' (आरओएस) छोड़ती है जो कपड़े पर लगे सूक्ष्म विषाणुओं को मार देती है.
लॉस एंजिलिस: शोधार्थियों ने सूती कपड़े का ऐसा पुनः इस्तेमाल किया जाने वाला मास्क विकसित किया है जो एक घंटे सूरज की रोशनी में रहने पर 99.99 प्रतिशत जीवाणु और वायरस को मार सकता है.
अलग अलग तरह के कपड़ों से बनने वाले मास्क खांसते और छींकते वक्त निकलने वाली बूंदों को रोकते हैं जिससे कोविड-19 समेत अन्य बीमारियों के प्रसार को कम करने में मदद मिल सकती है.
' एसीएस अप्लाइड मटेरियल एंड इंटरफेसेज ' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, मास्क पर लगे जीवाणु और वायरस संक्रामक हो सकते हैं.
अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक नया सूती कपड़ा विकसित किया है जो सूरज की रोशनी में आने पर ' प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन स्पाइजेस ' (आरओएस) छोड़ती है जो कपड़े पर लगे सूक्ष्म विषाणुओं को मार देती है और यह धोने योग्य, पुनः इस्तेमाल योग्य और लगाने के लिए सुरक्षित रहता है. उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति दोपहर के भोज के समय सूरज की रोशनी में अपने मास्क को रखकर जीवाणु मुक्त कर सकता है .
टीम ने पाया कि रोज बंगाल डाइ से बना कपड़ा फोटोसैनेटाइजर के तौर पर सूरज की रोशनी में आने पर एक घंटे में उसपर लगे 99.99 प्रतिशत जीवाणुओं को मार देता है और 30 मिनट के अंदर टी7 ' बैक्टरियाफैज ' को 99.99 फीसदी सक्रिय कर देता है. टी7 बैक्टरियाफैज के बारे में माना जाता है कि यह वायरस कुछ कोरोना वायरस की तुलना में आरओएस के लिए अधिक प्रतिरोधी है.
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