मालदीव के राष्ट्रपति ने आपातकाल लगाने के कारण गिनाते हुए कहा- अदालत के आदेश से हुआ मजबूर
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यामीन ने देश में हुए घटनाक्रम के बारे में बताया और यह भी बताया कि उन्हें किन कारणों से देश में आपातकाल की घोषणा करने पर मजबूर होना पड़ा. इएन डॉट मिहारू डॉट काम के अनुसार, यामीन ने कहा कि उन्होंने आपातकाल इसलिए लगाया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नौ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया था.
माले: देश में आपातकाल लगाने और चीफ जस्टिस को जेल में बंद करने के बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने कहा कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक और जस्टिस भ्रष्टाचार में संलिप्त थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अदालत का आदेश नहीं मानने की वजह से ये लोग उनके खिलाफ महाभियोग समेत अन्य साजिशों से तख्तापलट की तैयारी कर रहे थे.
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यामीन ने देश में हुए घटनाक्रम के बारे में बताया और यह भी बताया कि उन्हें किन कारणों से देश में आपातकाल की घोषणा करने पर मजबूर होना पड़ा. इएन डॉट मिहारू डॉट काम के अनुसार, यामीन ने कहा कि उन्होंने आपातकाल इसलिए लगाया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नौ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया था.
उन्होंने आगे कहा कि यह आदेश उनकी सरकार के लिए 'विश्वास नहीं करने वाला झटका' था क्योंकि इसमें आतंकवाद और भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे कैदियों को रिहा करने का फैसला दिया गया था. राष्ट्रपति ने कहा, "मैंने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल और देश के महाभियोजक ऐशथ बिसम से इस बारे में सलाह ली. दोनों ने कहा कि इस आदेश का लागू करना 'आसान नहीं होगा'."
यामीन ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के संबंध में महाभियोजक और अटॉर्नी जनरल की ओर से दाखिल कानूनी चिंताओं को स्वीकार करने से मना कर दिया. अदालत ने हाल ही में अपने आदेश में कहा था कि न्यायिक आयोग सेवा (जेएससी) कोर्ट के आदेशों की जांच नहीं कर सकता. ऐसे में जेएससी की भी मदद नहीं ली जा सकी.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और महाभियोजक को उनके पद से हटाने पर भी विचार किया और पुलिस प्रमुख जैसे कुछ लोगों को फिर से पद पर आसीन कर दिया जिन्हें उन्होंने (यामीन ने) हटाया था. राष्ट्रपति ने कहा, "अटॉर्नी जनरल और महाभियोजक कार्यालय भी देश में स्वतंत्र संस्थान हैं और दोनों के पास कानूनी दायित्वों से अलग हटकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय देने पर सवाल उठाने का अधिकार है."
यामीन ने कहा, "इसके बाद ही हमने काफी गंभीरता से इस मामले को देखना शुरू किया और यह पता लगाया कि सुप्रीम कोर्ट को कौन सी चीजें प्रभावित कर रही हैं." उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जांच के दौरान न्यायिक प्रशासक (Judicial Administrator) हसन सईद के हुलहुमाले में फ्लैट खरीदने के बारे में पता लगा, जोकि भ्रष्टाचार से संबंधित मामला था. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और अन्य न्यायधीश अली हामिद के खिलाफ भी ऐसे ही मामले का पता चला.
यामीन ने कहा कि हसन के खिलाफ वारंट जारी होने और उनके अंडरग्राउंड होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट समाप्त कर दिया. राष्ट्रपति ने कहा, "इन सब कारणों से, मुझे आपातकाल लगाने को मजबूर होना पड़ा."
आपको बता दें कि एशियाई देश मालदीव में राजनीतिक संकट बरकरार है. मालदीव के विपक्षी नेताओं का आरोप है कि राष्ट्रपति यामीन चीन के प्रभाव में काम कर रहे हैं. विपक्षी नेता, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत और अमेरिका से स्थिति को सामान्य बनाने के लिए दख्ल की मांग की है. वहीं भारत ने मामले पर चिंता जताई है और भारतीयों को अनावश्यक तौर पर वहां जाने से मना किया गया है.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक बंदियों को रिहा करने वाला अपना फैसला वापस ले लिया है. आपको बता दें कि देश की सुप्रीम कोर्ट ने देश की सरकार से राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था. इसी आदेश के बाद मालदीव के राष्ट्रपति ने देश में 15 दिनों के आपातकाल की घोषणा की जिसके बाद से देश के एक पूर्व राष्ट्रपति समेत चीफ जस्टिस और एक और जज को गिरफ्तार कर लिया गया है. देश की संसद से सुप्रीम कोर्ट तक को वहां के राष्ट्रपति ने फौज और पुलिस के सहारे अपने कब्ज़े में ले लिया है.