अमेरिका और इजराइल ने इस साल ईरान में अल-कायदा के एक आतंकवादी का पता लगाने और उसे मारने के लिए मिलकर काम किया था. दोनों सहयोगी देशों ने यह बड़ा खुफिया अभियान ऐसे समय में चलाया जब ट्रंप प्रशासन तेहरान पर दबाव बढ़ा रहा था.
अगस्त में मारा गया था आतंकवादी अबू मोहम्मद
अमेरिका के चार पूर्व और वर्तमान अधिकारियों ने कहा कि अल-कायदा के दूसरे नंबर के आतंकवादी अबू मोहम्मद अल-मसरी को अगस्त में ईरान की राजधानी में मार गिराया गया था. इनमें से दो अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका ने इजराइली अधिकारियों को इस बारे में खुफिया सूचना दी कि अल-मसरी कहां मिल सकता है. वहीं, इजराइली एजेंटों ने इस काम को अंजाम दिया. दो अन्य अधिकारियों ने अल-मसरी के मारे जाने की पुष्टि की लेकिन ज्यादा जानकारी नहीं दे सके.
बम धमाकों की साजिश में था शामिल
अल-मसरी को तेहरान में सात अगस्त को मार गिराया गया. 1998 में सात अगस्त के दिन ही नैरोबी, कीनिया, दार अस सलाम और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों में बम हमले हुए थे. माना जाता है कि अल-मसरी उन हमलों की साजिश में शामिल था और एफबीआई के वांछित आतंकवादियों की सूची में था.
2001 में अमेरिका में हमलों को दिया था अंजाम
अल-मसरी के मारे जाने से अल-कायदा को झटका लगा है और संगठन के नेता अयमन अल-जवाहिरी को लेकर पश्चिम एशिया में चल रही अफवाहों के बीच यह खबर आई है. इसी आतंकी संगठन ने 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हमलों को अंजाम दिया था. जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने अबू मोहम्मद अल-मसरी पर एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया था. आतंकी अबू को 7 अगस्त को मारा गया था लेकिन अमेरिका, ईरान और इजरायल ने इस बात को अबतक गोपनीय रखा था.
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