जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर बयानबाजी करने वाला मलेशिया अब रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. साल 2019 में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा था कि भारत ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जा किया है और हाल ही में एक बार फिर कश्मीर को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया. हमास के हमले पर इजरायली सैनिकों की जवाबी कार्रवाई की महातिर ने कश्मीर में भारत की गतिविधियों से तुलना की थी. उन्होंने कहा कि जैसे इजरायल फिलिस्तीनियों पर जुल्म ढा रहा है उसी तरह कश्मीर में भारत करता है. 


महातिर के इन बयानों ने दोनों देशों के रिश्तों पर बहुत प्रभावित किया. भारत मलेशिया से पाम ऑयल का आयात करता था, लेकिन तनाव के चलते इस पर रोक लगा दी गई. महातिर के बयानों का देशभर में कड़ा विरोध किया गया. उसी का नतीजा था कि रिश्तों पर इसका इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा. फिर भी महातिर ने भारत के खिलाफ जहर उगलना बंद नहीं किया और कहा कि कश्मीरियों के साथ भारत वही करता है जो इजरायल फिलिस्तीनियों के साथ कर रहा है. 


महातिर के बयानों ने रिश्तों में बढ़ाया तनाव
भारत सरकार ने मलेशिया से पाम ऑयल का आयात बंद कर दिया. सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रमुख अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि देश के साथ एकजुटता दिखाते हुए हमें मलेशिया से तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए. यह मलेशिया के लिए बड़ा झटका था क्योंकि साल 2018 में उससे पाम ऑयल खरीदने वाला भारत तीसरा सबसे बड़ा देश था, जिसने 1.63 बिलियन यूएस डॉलर की खरीद की थी.


उस वक्त मलेशिया के मंत्री टेरेसी कॉक ने कहा था कि भारत का यह कदम देश के लिए बड़ा झटका है और उन्होंने दोनों देशों को सुधारने के लिए कोशिश भी की. उन्होंने कहा कि मलेशिया भारत से चीनी और बुफेलो मीट की खरीद बढ़ाने पर विचार कर रहा है. मलेशिया के पाम ऑयल बाजार को एक और झटका तब लगा जह यूरोपीय संघ ने 2030 तक जैव ईंधन में पाम ऑयल को चरणबद्द तरीके से समाप्त करने की योजना की घोषणा की थी. 


कैसे हो रही रिश्तों को सुधारने की कोशिश
कई कारण हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि मलेशिया, भारत के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश करने में लगा है. 5-8 नवंबर को भारत आए मलेशियाई विदेश मंत्री जाम्ब्री अब्दुल कादिर अपने भारतीय समकक्ष के साथ छठी भारत-मलेशिया संयुक्त आयोग के लिए अपने भारतीय समकक्ष से मिले और रक्षा, सुरक्षा एवं निवेश क्षेत्र पर चर्चा की और उन्नत रणनीतिक साझेदारी की प्रगति की समीक्षा की. इसी साल 10 जुलाई को भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मलेशिया यात्रा, उसके बाद विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री की यात्रा से पता चलता है कि द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है. जाम्ब्री ने कहा कि मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भी जल्द ही भारत का दौरा कर सकते हैं.


क्यों बदले मलेशिया के तेवर
मलेशिया के तेवर क्यों बदले हैं इसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि उसके दस सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से भारत एक है और आसियान देशों में भी मलेशिया, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी इस बात के संकेत दे चुके हैं कि मलेशिया के साथ रिश्तों में सुधार क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में सहायक होगा. 


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