लंदन: भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की वकील ने भारत को उसका प्रत्यर्पण रोकने के लिए जूलियन असांजे से जुड़े मामले का उदाहरण दिया. जिसमें एक ब्रिटिश अदालत ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे के आधार पर विकीलीक्स के संस्थापक का अमेरिका को प्रत्यर्पण रोक दिया है.
नीरव अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई में दो दिन तक चलने वाली अंतिम दलीलों के लिए गुरुवार को वीडियो लिंक के जरिए अदालत के समक्ष पेश हुआ. वह पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े लगभग दो अरब डॉलर के घोटाले मामले में फर्जीवाड़े, धनशोधन और गवाहों को धमकाने के आरोपों का सामना कर रहा है.
उसकी वकील ने सोमवार को आए उस आदेश का हवाला दिया जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर अमेरिका को असांजे का प्रत्यर्पण रोक दिया गया है. जिला न्यायाधीश ने असांजे के मामले में कहा था कि आरोपी अपनी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के चलते प्रत्यर्पण किए जाने पर आत्महत्या कर सकता है.
अब यह मामला अपील का विषय है
नीरव की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने कहा कि असांजे की तरह ही उसके मुवक्किल का मामला है और मार्च 2019 से ही उसकी मानसिक स्थिति खराब होती जा रही है. भारत की ओर से पैरवी कर रही क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कार्यवाही को स्थगित करने का आग्रह करते हुए कहा कि उसकी मानसिक स्थिति का किसी स्वतंत्र मनोचिकित्सक से आकलन कराया जाए.
CPS शुक्रवार को नीरव के खिलाफ मामले पर विस्तृत दलीलों को देगी अंतिम रूप
हालांकि, जिला न्यायाधीश सैम्यूल गूज ने इस आग्रह को नहीं माना और कहा कि भारत सरकार के पास बचाव पक्ष के गवाह व कई मौकों पर नीरव की मानसिक स्थिति का आकलन कर चुके फॉरेंसिक मनोचिकित्सक डॉक्टर एंड्रू फॉरेस्टर की पांच रिपोर्टों पर जवाब देने का ‘‘पर्याप्त अवसर’’ है.
सीपीएस शुक्रवार को नीरव के खिलाफ मामले पर विस्तृत दलीलों को अंतिम रूप देगी और फैसला अगले कुछ सप्ताह में आने की उम्मीद है.
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