Afghan Embassy: दिल्ली में अफगान दूतावास के बंद होने के पीछे वजह कुछ और...जानें क्या?
भारत सरकार तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देती है. भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार हो जो लोगों के हितों का ध्यान में रखे. ऐसी सरकार हो जो अपनी धरती पर आंतकवाद पनपने न दें.
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India Afghanistan Relations: दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास बंद होने के पीछे अलग-अलग वजहें दी गई. कभी कहा गया कि दूतावास अपने दैनिक खर्चों को पूरा नहीं कर पा रहा तो कभी कहा गया कि उसे भारत से सहयोग नहीं मिला इसलिए दूतावास बंद करना पड़ा लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में दूतावास बंद होने की कोई और वजह बताई गई है.
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, दिल्ली में अफगानी दूतावास बंद होने के पीछे भारतीय सरकार की ओर से सपोर्ट की कमी नहीं बल्कि दूतावास के राजनयिकों के आंतरिक मतभेद था.
तालिबान का प्रतिनिधित्व नहीं करता भारत में अफगानी दूतावास
फिलहाल दिल्ली के अफगानी दूतावास का काम मुंबई में अफगानिस्तान का वाणिज्य दूतावास देख रहा है. वाणिज्य दूतावास ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ अफगानिस्तान' का प्रतिनिधित्व करती है, जिस सरकार को तालिबान ने 2021 में सत्ता से बेदखल कर दिया था. भारत सरकार तालिबान की सरकार को मान्यता नहीं देती है. भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार हो जो लोगों की हितों का ख्याल रखे. ऐसी सरकार हो जो अपनी धरती पर आंतकवाद पनपने न दें.
'भारत ने मदद से किया इनकार'
दिल्ली के अफगानिस्तान दूतावास के अफगानी राजदूत फरीद मामुन्दजई ने दूतावास के बंद होने के पीछे भारत के असहयोग की बताया. जबकि इकोनॉमिक टाइम्स ने रिपोर्ट में दावा किया है कि 2021 में तालिबान ने जैसे ही अशरफ गनी का हाथ से सत्ता छीन ली तब से भारत के 20 अफगानी राजनयिक पश्चिमी देशों में शरण लेने की फिराक में थे.
फरीद मामुन्दजई भी लंदन में रह रहे हैं. उन्होंने राजनयिकों को विदेशों में शरण दिलाने के लिए भारत से मदद मांगी तब भारत ने इससे इनकार कर दिया, इस वजह से ही फरीद मामुन्दजई ने भारत पर सारा दोष मढ़ दिया. इसके अलावा फरीद मामुन्दजई जैसे कई राजनयिकों पर भष्ट्राचार के कई मामले चल रहे हैं.
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