Afghanistan crisis: तालिबान ने अफगानिस्तान पर 20 साल के बाद फिर से कब्जा कर लिया है. देश में इस समय अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है. हर वर्ग के लोग जल्द से जल्द देश छोड़कर भागना चाहते हैं. वहीं, देश और दुनिया के कई विशेषज्ञ वहां की महिलाओं को लेकर काफी चिंतित हैं. तालिबान की देश में एंट्री अंतर्राष्ट्रीय बलों के हटने के बाद हुई. संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर मई में वापस जाना शुरू कर दिया और अब वह अपने सैन्य मिशन को समाप्त करने के कगार पर है.
पश्चिम में एक प्रमुख महिला पत्रिका फोर नाइन के अनुसार, सुरक्षा और आतंकवाद विश्लेषक डॉ. सज्जन गोहेल ने कहा कि वहां की महिलाएं तालिबान दिमाग से डरी हुई हैं. उन्होंने कहा, 'जिन अफगान महिलाओं से मैंने बात की है, सबने अपना दर्द बयां किया है. उन्होंने यह भी कहा कि उनका मानना है कि 1990 के दशक में अफगानिस्तान के लोगों ने जो कुछ देखा था, उसकी कुछ हद तक वापसी देखने जा रहे हैं.'
लोगों को देश से निकालने में मदद कर रही अमरीकी सेना
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के पूरी तरह से कब्जे के बाद वहां पर स्थिति दिनों-दिन बदतर होती जा रही है. वहां से जान बचाकर लोग भागने की कोशिश कर रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट को नियंत्रण में रखने वाली अमेरिकी सेना लगातार लोगों को देश छोड़कर भागने में लोगों की मदद कर रही है. अधिकतर देशों ने अपने दूतावास बंद कर दिए और उसे दी जाने वाली विदेशी सहायता पर रोक लगा दी है.
अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. तालिबान ने 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है.
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