Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में बड़ी बगावत, सभी अफगानी राजदूतों ने नई तालिबानी सरकार को मानने से किया इनकार
Afghanistan Crisis: साझा बयान में कहा गया है कि तालिबान सरकार गैर-संवैधानिक है और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है. बयान में ये भी आरोप लगाया गया है कि नई तालिबानी सरकार ने औरतों के हक का भी हनन किया है.
Afghanistan Crisis: तालिबान के जरिए अफगानिस्तान में नई सरकार के ऐलान के एक दिन बाद ही अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के खिलाफ बड़ी बगावत हो गई है. पिछली गनी सरकार के विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी करके ऐलान किया गया कि दुनिया भर में मौजूद सभी अफगानी राजदूत पिछली अफगानी सरकार को ही मानते हुए काम करते रहेंगे और नई तालिबानी सरकार को स्वीकार नहीं करते.
सभी दुतावासों के जरिए जारी साझा बयान में कहा गया है कि तालिबान सरकार गैर-संवैधानिक है और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है. बयान में ये भी आरोप लगाया गया है कि नई तालिबानी सरकार ने औरतों के हक का भी हनन किया है. लिहाजा वो तालिबानी सरकार को मानने से इनकार करते हैं. इस बयान में बगावत के ऐलान के साथ ही ये भी साफ कर दिया गया है कि सभी मौजूदा अफगानी राजदूत अपने-अपने दुतावासों में तालिबानी नहीं बल्कि पुराना झंडा ही इस्तेमाल करते रहेंगे.
देश के नए नाम को मानने से भी इनकार
इस बयान में तालिबान के जरिए अफगानिस्तान को दिए गए नए नाम इस्लामिक अमिरात ऑफ अफगानिस्तान को भी मानने से साफ इनकार कर दिया है. बता दें कि सूत्रों के मुताबिक पिछली अफगान सरकार के सभी राजदूत हामिद करजई और डॉ. अब्दुल्ला के लगातार संपर्क में थे. लिहाजा आज इस बगावत से साफ है कि भले ही करजई और डॉ. अब्दुल्ला ने औपचारिक तौर पर तालिबान की नई सरकार का विरोध नहीं किया हो लेकिन अब बिल्कुल साफ है कि वो इससे नाखुश हैं और ये विद्रोह संभवतः उन्हीं के इशारे पर हुआ है.