Afghanistan Crisis: 90 देशों की तरफ से एक संयुक्त बयान जारी किया गया है और कहा गया है कि जो लोग वहां फंसे हुए हैं उन्हें वहां से निकालने में कोई दिक्कत नहीं होगी. इन 90 देशों को सुरक्षित निकासी का भरोसा तालिबान (Taliban) ने दिया है. इसमें नेटो और अमेरिका के जितने भी सहयोगी हैं उनका नाम शामिल है. इसके अलावा अफ्रीकन कॉन्टिनेंट का नाम है लेकिन इसमें भारत का नाम नहीं है.
90 देशों की तरफ से जा साझा बयान जारी किया गया है कि उसमें यही कहा गया है कि तालिबान की तरफ से ये आश्वासन दिया गया है कि जो भी विदेशी नागरिक हैं जिन्हें वापस अपने मुल्क जाना है, उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी. उन लोगों को एयरपोर्ट पर कोई दिक्कत नहीं होगी.
गौरतलब कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद लोग मुल्क छोड़कर जा रहे हैं. न सिर्फ विदेश नागरिक बल्कि स्थानीय निवासी भी वहां से किसी तरह निकल जाना चाहते हैं. लगातार काबुल एयरपोर्ट से ऐसी तस्वीरें बीत दिनों से सामने आ रही हैं जिसमें साफ देखा जा सकता है कि वहां लोगों की भारी भीड़ है और एक अफरातफरी और अनिश्चितता का माहौल है. ऐसे समय में तालिबान ने बयान जारी किया और सुरक्षित निकासी का दुनिया के कई मुल्कों को भरोसा दिया है.
लेकिन सवाल है कि आखिर तालिबान का अफगानिस्तान पर कितना कंट्रोल है? ये सवाल 26 अगस्त और रविवार की घटना के बाद लाजमि हो जाता है. दरअसल, काबुल एयरपोर्ट के कुछ हिस्सों की सुरक्षा भले ही अभी भी अमेरिका के हाथों में है लेकिन शहर के बाकी हिस्सों पर तालिबान का ही कब्जा है. इसके बावजदू भी 26 अगस्त को आतंकी संगठन आईएसआईएस खुरासान काबुल एयरपोर्ट के बाहर दो सिलसिलेवार धमाकों को अंजाम दे देता हैं. इस घटना में अमेरिका के 13 सैनिकों सहति 170 लोगों की मौत हो गई थी. ऐसे में सवाल उठता है कि तालिबान के नियंत्रण के बावजूद भी आतंकी एयरपोर्ट तक कैसे पहुंचे. रविवार को ही अमेरिका ने एयरस्ट्राइक कर सुसाइट बॉम्बर से भरी एक गाड़ी को तबाह कर दिया. ये काबुल के हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को निशाना बनाने जा रहे थे. आखिर ये सुसाइड बॉम्बर शहर के अंदर कैसे दाखिल हुए?
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