अफगानिस्तान में छात्राएं तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद आज पहली बार स्कूल पहुंची थीं, हालांकि उन्हें अपनी कक्षाओं में एंट्री नहीं मिली. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को आए सात महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और अब जाकर लड़कियों के लिए फिर से सेकेंडरी स्कूलों को खोलने का फैसला लिया गया था, जो कि कुछ ही घंटों में ये आदेश वापस ले लिया गया.
तालिबान सरकार के फैसले वापस लेने के बाद राजधानी काबुल में लड़कियां मायूस होकर और आंखों में आंसू लिए स्कूलों से वापस लौट गईं. इसे लेकर पाकिस्तान की नोबेल पुरस्कार विजेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने ट्वीट कर कहा कि तालिबान ने अपना वादा नहीं निभाया.
'वे लड़कियों को पढ़ने से रोकने के बहाने ढूंढते रहेंगे'
मलाला यूसुफजई ने ट्वीट किया, "मुझे आज के लिए ये उम्मीद थी कि स्कूल जाने वाली अफगान लड़कियों को घर वापस नहीं भेजा जाएगा, लेकिन तालिबान ने अपना वादा नहीं निभाया. वे लड़कियों को पढ़ने से रोकने के बहाने ढूंढते रहेंगे, क्योंकि उन्हें शिक्षित लड़कियों और सशक्त महिलाओं से डर लगता है."
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने बुधवार को लड़कियों के लिए सेकेंडरी स्कूल खोलने के कुछ ही घंटे बाद बंद करने का आदेश जारी कर दिया. पिछले साल अगस्त के बाद पहली बार उन स्कूलों को खोला गया था. मालूम हो कि पिछले साल तालिबान ने अफगानिस्तान पर दूसरी बार कब्जा कर लिया था.
तालिबान के प्रवक्ता इनामुल्ला समांगानी ने स्कूलों को फिर से बंद करने की खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि हां ये सच है. हालांकि, उन्होंने स्कूलों को बंद किए जाने को लेकर कोई तर्क नहीं दिया. उनसे लड़कियों को स्कूल से घर जाने के आदेश देने की रिपोर्ट की पुष्टि करने के लिए कहा गया था. वहीं, शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता अजीज अहमद रायन ने बताया कि हमें इस पर टिप्पणी करने की इजाजत नहीं है.
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