Afghanistan News Live: UNSC की बैठक में चीन ने कहा- अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकियों का अड्डा नहीं बनना चाहिए
Afghanistan News Live: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद तक तालिबान का कब्जा हो चुका है. काबुल एयरपोर्टर पर लोगों की भीड़ है. भारत ने स्थिति पर चिंता जताई है.
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Afghanistan News Live: बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है. अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है. फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है.
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ा
रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है. हालांकि, उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है. अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं.
नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है, जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे. नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए. वहीं काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे.
तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा किया
अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं. अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अफगानिस्तान को इस मुश्किल स्थिति में छोड़कर देश से चले गए हैं. अल्लाह उन्हें जवाबदेह ठहराएं.’’ फगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.
काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था. ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था. एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका. हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया.
अमेरिका सालों से, युद्ध से बाहर निकलने को प्रयासरत है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो विद्रोहियों के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई को सीमित करता है. इसने तालिबान को अपनी ताकत जुटाने और प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति दी. वहीं राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अपनी योजना की घोषणा की.
तालिबान ने देश की सरकार के कब्जे वाली आखिरी सीमा पर भी कब्जा किया
रविवार की शुरुआत तालिबान द्वारा पास के जलालाबाद शहर पर कब्जा करने के साथ हुई - जो राजधानी के अलावा वह आखिरी प्रमुख शहर था जो उनके हाथ में नहीं था. अफगान अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने मैदान वर्दक, खोस्त, कपिसा और परवान प्रांतों की राजधानियों के साथ-साथ देश की सरकार के कब्जे वाली आखिरी सीमा पर भी कब्जा कर लिया.
बाद में बगराम हवाई ठिकाने पर तैनात सुरक्षा बलों ने तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. वहां एक जेल में करीब 5,000 कैदी बंद हैं. बगराम के जिला प्रमुख दरवेश रऊफी ने कहा कि इस आत्मसमर्पण से एक समय का अमेरिकी ठिकाना तालिबान लड़ाकों के हाथों में चला गया. जेल में तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह, दोनों के लड़ाके हैं.
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भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का बयान
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि वह लगातार अफगानिस्तान में स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. उनका कहना है कि भारत लौटने के इच्छुक लोगों की चिंता को समझना होगा. वहीं इस सब के बीच एयरपोर्ट संचालन सबसे बड़ी चुनौती होगी जिसके लिए सभी तरह की चर्चा की जा रही है. इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी है कि अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए एक विशेष अफगानिस्तान सेल का गठन किया गया है.
लोग कह रहे हैं कि हम हार गए है लेकिन किन हालात में फैसला लिया ये सब जानते हैं- जो बाइडेन
जो बाइडेन ने कहा कि, लोग कह रहे हैं कि हम हार गए है. हमने हमेशा सही फैसला लेने का प्रयास किया है और इस वक्त सेना को वापस बुलाना हमारा फैसला है. हमने वहां काफी पैसा खर्च किया है. हमें उम्मीद थी कि यहां कि सरकार अपनी सेना के साथ नियंत्रण रहेगी लेकिन वहां हालात तेजी से बदले.
हम अपने लोगों को सुरक्षित वापस लाना चाहते हैं: जो बाइडन
बाइडन ने भरोसा जताया कि, अफगानिस्तान जल्द बेहतर स्थिती में आएगा. हम अपने लोगों को सुरक्षित वापस लाना चाहते हैं जिसके लिए लगातार कार्य किया जा रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का बयान
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, राष्ट्रीय सुरक्षा टीम और मैं अफगानिस्तान में जमीन पर स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. हमारे सैनिकों ने बहुत त्याग किया है लेकिन अब उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते. हम अपने सैनिकों को वापस बुला रहे हैं.
भारत के विदेश मंत्रालय ने जारी की हेल्पलाइन नंबर
भारत के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान में फंसे लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी किया है. नबंर है- 919717785379, Email ID: MEAHelpdeskIndia@gmail.com