Afghanistan News Live: UNSC की बैठक में चीन ने कहा- अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकियों का अड्डा नहीं बनना चाहिए
Afghanistan News Live: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद तक तालिबान का कब्जा हो चुका है. काबुल एयरपोर्टर पर लोगों की भीड़ है. भारत ने स्थिति पर चिंता जताई है.
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि वह लगातार अफगानिस्तान में स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. उनका कहना है कि भारत लौटने के इच्छुक लोगों की चिंता को समझना होगा. वहीं इस सब के बीच एयरपोर्ट संचालन सबसे बड़ी चुनौती होगी जिसके लिए सभी तरह की चर्चा की जा रही है. इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी है कि अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए एक विशेष अफगानिस्तान सेल का गठन किया गया है.
जो बाइडेन ने कहा कि, लोग कह रहे हैं कि हम हार गए है. हमने हमेशा सही फैसला लेने का प्रयास किया है और इस वक्त सेना को वापस बुलाना हमारा फैसला है. हमने वहां काफी पैसा खर्च किया है. हमें उम्मीद थी कि यहां कि सरकार अपनी सेना के साथ नियंत्रण रहेगी लेकिन वहां हालात तेजी से बदले.
बाइडन ने भरोसा जताया कि, अफगानिस्तान जल्द बेहतर स्थिती में आएगा. हम अपने लोगों को सुरक्षित वापस लाना चाहते हैं जिसके लिए लगातार कार्य किया जा रहा है.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि, राष्ट्रीय सुरक्षा टीम और मैं अफगानिस्तान में जमीन पर स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. हमारे सैनिकों ने बहुत त्याग किया है लेकिन अब उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते. हम अपने सैनिकों को वापस बुला रहे हैं.
भारत के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान में फंसे लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी किया है. नबंर है- 919717785379, Email ID: MEAHelpdeskIndia@gmail.com
यूएनएसी की बैठक में चीन ने कहा कि अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकियों का अड्डा नहीं बनना चाहिए. चीन के जेंग शुआन ने कहा, “पिछले 20 सालों से इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में एकत्रित और विकसित हुए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. अफगानिस्तान को फिर कभी आतंकवादियों का अड्डा नहीं बनना चाहिए.”
टीएस तिरुमूर्ति ने यूएनएनसी की बैठक में ये भी कहा, “अफगानिस्तान के एक पड़ोसी देश के रूप में, उसके लोगों के मित्र के रूप में, देश में मौजूदा स्थिति भारत में हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है. अफगानी पुरुष, महिलाएं और बच्चे लगातार भय की स्थिति में जी रहे हैं.”
टीएस तिरुमूर्ति ने आगे कहा, “हमने काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य देखा है जिससे लोगों में व्यापक दहशत है. महिलाएं और बच्चे परेशान हैं. हवाई अड्डे सहित शहर से गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं.”
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, “अगर आतंकवाद के प्रति सभी रूपों में जीरो टॉलरेंस की नीति है और यह ये सुनिश्चित करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा किसी अन्य देश को धमकाने या हमला करने के लिए नहीं किया जाता है, तो अफगानिस्तान के पड़ोसी और इलाके सुरक्षित महसूस करेंगे.”
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन अफगानिस्तान की स्थिति पर आज रात देश को संबोधित करेंगे.
इसके साथ ही लिंडा थॉमस ग्रीन फील्ड ने कहा, “अमेरिका उदार होने का वादा करता है और हमारे अपने देश में अफगानों को फिर से बसा है, और ऐसा करने के लिए अन्य देशों से हमने जो प्रतिज्ञा देखी है, उससे मैं बहुत खुश हूं. हम अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसियों और अन्य लोगों से शरण देने का आग्रह करते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, “हमें इस बात की गहरी चिंता है कि संकट में फंसे लोगों को सहायता नहीं मिल रही है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के तहत 500 टन से अधिक सहायता मौजूदा वक्त में तालिबान द्वारा कब्जा किए गए बॉर्डर क्रॉसिंग पर है. ये सहायता वितरण तुरंत फिर से शुरू होना चाहिए.”
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अफगानी गर्व से भर लोग हैं. वे युद्ध और कठिनाई की पीढ़ियों को जानते हैं. वे हमारे पूर्ण समर्थन के हकदार हैं. आने वाले दिन महत्वपूर्ण रहेंगे. दुनिया देख रही है. हम अफगानिस्तान के लोगों को नहीं छोड़ सकते हैं और नहीं छोड़ना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाकजई ने कहा, “तालिबान दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने बयानों में किए गए अपने वादों और प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं कर रहा है. निवासी पूर्ण भय में जी रहे हैं.”
यूएनएससी की आपात बैठक में अफगान प्रतिनिधि ने कहा, “आज मैं अफगानिस्तान के लाखों लोगों की ओर से बोल रहा हूं. मैं उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं की बात कर रहा हूं, जो स्कूल जाने और राजनीतिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने की स्वतंत्रता खोने वाली हैं.”
यूएन के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “मैं सभी पक्षों से विशेष रूप से तालिबान से आग्रह करता हूं कि वे जीवन की रक्षा के लिए अत्यधिक संयम बरतें और यह सुनिश्चित करें कि मानवीय जरूरतों को पूरा किया जा सके.” उन्होंने कहा कि संघर्ष ने हजारों लोगों को मजबूर कर दिया है.
जर्मन सरकार ने तालिबान से संयम बरतने, अफगान लोगों की सुरक्षा करने और उन तक मानवीय सहायता पहुंचने देने का आग्रह किया है. जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि जर्मनी “अफगान लोगों के भविष्य और पूरे देश के विकास के प्रति चिंतित है.” स्टीफेन सीबर्ट ने कहा, “पश्चिमी समुदाय के देशों के सालों तक चले अभियान के परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह घटनाएं अच्छी नहीं हैं.” सरकार ने यह भी कहा कि वह दूतावास के सभी कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रही है जिन्हें काबुल से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि सरकार अफगानिस्तान में सभी घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रही है. पिछले कुछ दिनों में काबुल में सुरक्षा स्थिति काफी खराब हो गई है, यह तेजी से बदल रही है. हम जानते हैं कि अफगानिस्तान में अभी भी कुछ भारतीय नागरिक हैं जो वापस लौटना चाहते हैं और हम उनके संपर्क में हैं.
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने सोमवार को पड़ोसी अफगानिस्तान में राष्ट्रीय मेलमिलाप का आह्वान किया. आधिकारिक संवाद समिति इरना ने रईसी के हवाले से कहा कि ईरान पहली प्राथमिकता के तौर पर अफगानिस्तान में स्थिरता बहाल करने के प्रयासों का समर्थन करेगा. उन्होंने ईरान को अफगानिस्तान का “भाई और पड़ोसी राष्ट्र” करार दिया. उन्होंने अमेरिकियों के तेजी से वापसी को “सैन्य विफलता” करार दिया और कहा “जीवन, सुरक्षा और शांति फिर से बहाल करने की दिशा में बढ़ना” चाहिए.
अफगानिस्तान में तालिबान के राज में मीडियाकर्मियों पर ‘पाबंदी’ की स्थिति है. तालिबान की पाबंदियों को रिपोर्टर को झेलना पड़ रहा है. सीएनएन इंटरनेशनल की संवाददाता क्लैरिसा को बुर्का पहनकर काबुल से रिपोर्टिंग करना पड़ रहा है. कल यानी रविवार को वो बिना बुर्के के रिपोर्टिंग कर रही थीं.
अफगानिस्तान की संसद पर तालिबान के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया है. तालिबान के आतंकी संसद में पहुंच गए. तालिबान के लड़ाके हाथों में मशीन गन लिए संसद के अंदर घुस गए. स्पीकर की कुर्सी पर जाकर बैठ गए.
चीन ने सोमवार को उम्मीद जताई कि तालिबान अफगानिस्तान में ‘खुले और समग्र’ इस्लामिक सरकार की स्थापना के अपने वादे को निभाएगा और बिना हिंसा और आतंकवाद के शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण सुनिश्चित करेगा. अफगानिस्तान की सरकार गिरने के बाद पहली बार प्रतिक्रिया जताते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से बात करते हुए उम्मीद जताई कि तालिबान सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के वादे को निभाएगा, अफगान नागरिकों और विदेशी राजदूतों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेगा.
अमेरिका के एक शीर्ष जनरल ने कहा कि तालिबान द्वारा संचालित अफगानिस्तान से अमेरिका को बढ़े हुए आतंकी खतरों का सामना करना पड़ सकता है. यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब अमेरिका के समर्थन वाली अफगान सेना के इतनी तेजी से पांव उखड़ने को लेकर इन खतरों का अनुमान लगाने वाली खुफिया एजेंसियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अमेरिकी खुफिया अनुमान में एक हफ्ते से भी कम समय पहले कहा गया था विद्रोही काबुल को 30 दिनों में घेर सकते हैं, लेकिन दुनिया ने रविवार को चौंकाने वाली तस्वीरें देखीं कि तालिबान लड़ाके अफगान राष्ट्रपति के कार्यालय में खड़े हैं जबकि अफगान नागरिकों और विदेशियों की भीड़ देश के बाहर जाने की कोशिश में हवाईअड्डों पर पहुंच रहे हैं.
इटली ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से अपने दूतावास के 70 कर्मियों और अफगान कर्मचारियों को बाहर निकाला है. इटली के कर्मचारियों को लेकर निकले विमान के सोमवार को रोम पहुंचने की संभावना है. काबुल अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन पर लिये गये एक वीडियो को इटली के रक्षा मंत्रालय ने जारी किया, जिसमें लोगों को अंधेरे में खड़े एक विमान पर सवार होने के लिए चलित सीढ़ियों पर चढ़ते देखा जा सकता है.
अफगानिस्तान के टोलोन्यूज ने कहा, “तालिबान ने काबुल में टोलोन्यूज परिसर में प्रवेश किया, सुरक्षा कर्मचारियों के हथियारों की जांच की, सरकार द्वारा जारी हथियार एकत्र किए, परिसर को सुरक्षित रखने के लिए सहमत हुए.”
चीन ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के तालिबान के साथ के ‘दोस्ताना संबंध’ विकसित करने के लिए तैयार है. न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने इस बात की जानकारी दी. बता दें कि पिछले दिनों तालिबानी नेता ने चीन के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की थी.
एअर इंडिया ने पूर्वनिर्धारित अपनी एकमात्र दिल्ली-काबुल उड़ान को रद्द कर दिया ताकि अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से बचा जा सके. विमानन कंपनी ने यह कदम काबुल हवाई अड्डे के अधिकारियों द्वारा ‘अनियंत्रित’ स्थिति घोषित किए जाने के बाद उठाया. भारत और अफगानिस्तान के बीच सोमवार को निर्धारित यह एकमात्र वाणिज्यिक उड़ान थी और एअर इंडिया एकमात्र विमानन कंपनी है जो दोनों देशों के बीच विमानों का परिचालन कर रही है. सोमवार को विमानन कंपनी ने अमेरिका से दिल्ली आ रहे अपने दो विमानों का रास्ता इसी वजह से बदल कर संयुक्त अरब अमीरात के शारजाह कर दिया.
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, चश्मदीदों ने बताया है कि काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की तरफ से की गई फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई है. वहीं कई लोग घायल हैं. अमेरिकी सुरक्षाबलों ने ये कार्रवाई ऐसे वक्त की जब काबुल एयरपोर्ट पर प्लेन में सवार होने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. भीड़ को तितर बितर करने के लिए अमेरिकी सुरक्षाबलों ने हवा में भी गोलियां चलाईं.
संकट में घिरे अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि तालिबान अपने इरादे बताए और देश पर उसके कब्जे के बाद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चय की स्थिति में आए लोगों को भरोसा दिलाए. तालिबान के लड़ाकों ने रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। सरकार ने घुटने टेक दिए और राष्ट्रपति गनी देशी और विदेशी नागरिकों के साथ देश छोड़कर चले गए.
सऊदी अरब ने कहा कि बदलते जमीनी हालात के मद्देनजर उसने रविवार को काबुल में अपने दूतावास से सभी कर्मियों को निकाल लिया है. अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे के बाद कई अन्य देशों ने वहां स्थित अपने दूतावास बंद कर दिए हैं.
अफगानिस्तान से चेक देश की पहली उड़ान अपने कर्मियों और अफगान नागरिकों को लेकर काबुल अंततराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुई और प्राग में उतरी. प्रधानमंत्री आंद्रेज बबिज़ ने कहा कि सोमवार को पहुंची उड़ान में 46 लोग सवार थे. इनमें चेक के नागरिक, चेक दूतावास में अफगान कर्मी और अफगान अनुवादक जिन्होंने नाटो मिशन के दौरान चेक सशस्त्र बलों की मदद की थी और उनके परिवार शामिल थे. प्रधानमंत्री ने तत्काल अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऐसी कितनी उड़ानों को और सेवा में लगाया जाएगा.
अमेरिका ने राजधानी काबुल स्थिति अपने दूतावास को पूरी तरह से खाली कर दिया है. हालांकि दूतावास के कार्यक्रम सभी जरूरी काम काज काबुल एयरपोर्ट से किए जाएंगे. वहां अमेरिका और फ्रांस समेत कई देशों ने अपने दूतावास बनाए हैं.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के शासन के घुटने टेकने के बीच अमेरिका ने कहा है कि अपने नागरिकों, अपने मित्रों और सहयोगियों की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी के लिए वह काबुल हवाईअड्डे पर 6,000 सैनिकों को तैनात करेगा. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने महत्वपूर्ण सहयोगी देशों के अपने समकक्षों से बात की. हालांकि इनमें भारत शामिल नहीं था. अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेतृत्व में 60 से अधिक देशों ने संयुक्त बयान जारी किया है जिसमें अफगानिस्तान में शक्तिशाली पदों पर आसीन लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे मानवीय जीवन और संपत्ति की रक्षा की जिम्मेदारी और जवाबदेही लें और सुरक्षा एवं असैन्य व्यवस्था की बहाली के लिए तुरंत कदम उठाएं.
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने काबुल में अपने दूतावास को ‘अस्थायी तौर पर बंद’ कर दिया है और अधिकांश कर्मियों को वहां से निकालकर पश्चिम एशिया के किसी अन्य देश में पहुंचा दिया है. मंत्रालय ने कहा कि राजदूत चोई तीहो समेत कुछ राजनयिक अफगानिस्तान में सुरक्षित स्थान पर हैं और दक्षिण कोरिया के एक व्यक्ति की अफगानिस्तान से सुरक्षित वापसी में मदद दे रहे हैं. इसमें बताया गया कि सियोल सरकार अमेरिका और अन्य देशों के साथ मिलकर सुरक्षित निकासी के लिए काम कर रही है.
दक्षिण कोरिया ने अफगानिस्तान पर 2007 से यात्रा पाबंदी लगा रखी है. अमेरिका और नाटो बलों की अफगानिस्तान से वापसी के बीच जून में दक्षिण कोरिया ने वहां रह रहे अपने नागरिकों से दस दिन के भीतर देश से निकल आने को कहा था.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा. तालिबान के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लेने और इसके निर्वाचित नेता अशरफ गनी के अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले जाने के बाद ट्रंप ने एक बयान में कहा, “जो बाइडन ने अफगानिस्तान में जो किया वह अपूर्व है. इसे अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में याद रखा जाएगा.” संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने इसे बाइडन प्रशासन की विफलता करार दिया है.
अफगान सरकार का तेजी से पतन और वहां फैली अराजकता कमांडर इन चीफ के रूप में बाइडन के लिए एक गंभीर परीक्षा की तरह है. प्रशासन की प्रमुख हस्तियों ने माना कि अफगान सुरक्षा बलों के तेजी से हारने से वे अचंभे में हैं, क्योंकि उन्होंने ऐसा अनुमान नहीं लगाया था. काबुल हवाई अड्डे पर छिटपुट गोलीबारी की खबरों ने अमेरिकियों को शरण लेने पर मजबूर किया जो उड़ानों की प्रतीक्षा कर रहे थे. विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगान सेना का जिक्र करते हुए सीएनएन को बताया, “हमने देखा कि बल देश की रक्षा करने में असमर्थ है और यह हमारे पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा जल्दी हुआ है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और गैर सरकारी संगठनों दोनों के मानवीय सहायता समुदाय के सदस्य सहायता की आवश्यकता वाले लाखों अफ़गानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अत्यधिक जटिल सुरक्षा वातावरण के बावजूद देश में रह रहे हैं. ओसीएचए के नाम से जाने जाना वाले कार्यालय ने एक बयान में कहा कि 5,50,000 लोगों को पहले से ही सहायता की आवश्यकता थी, जब इस साल संघर्ष से 5,50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए. यह आंकड़ा मई के बाद से दोगुना हो गया.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने रविवार को कहा, “संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण समाधान में योगदान करने, सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और जरूरतमंद नागरिकों को जीवन रक्षक मानवीय और महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है.”
भारत में अफगानी दूतावास का ट्विटर हैंडल हैक होने का दावा किया जा रहा है. ये खबर ऐसे समय आई है जब तालिबान ने लगभग पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया है और भारत अपने नागरिकों को वहां से एयरलिफ्ट कर रहा है. सूत्रों ने बताया है कि भारत काबुल में भारतीय दूतावास के अपने कर्मचारियों और भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालेगी और जरूरत पड़ने पर आपात स्थिति में उन्हें वहां से निकालने के लिए योजनाएं बना ली गयी हैं
राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के तुरंत बाद अफगानिस्तान में तालिबान ने पहली नियुक्ति कर दी है. तालिबान ने मुल्ला शीरीन को काबुल का गवर्नर बनाया है. इससे पहले तालिबान के एक प्रवक्ता और वार्ताकार ने कहा है कि चरमपंथी संगठन अफगानिस्तान में ‘खुली, समावेशी इस्लामी सरकार बनाने के मकसद से वार्ता कर रहा है.
तालिबान के एक प्रवक्ता और वार्ताकार ने कहा है कि चरमपंथी संगठन अफगानिस्तान में ‘खुली, समावेशी इस्लामी सरकार बनाने के मकसद से वार्ता कर रहा है. सुहैल शाहीन ने तालिबान के कुछ ही दिनों में देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेने और राजधानी काबुल में घुस जाने के बाद यह बात कही है, जहां अमेरिका अपने राजनयिकों और अन्य असैन्य नागरिकों को वापस बुलाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है. इससे पहले तालिबान के एक अधिकारी ने कहा था कि संगठन राष्ट्रपति भवन से एक नयी सरकार की घोषणा करेगा लेकिन वह योजना फिलहाल टलती दिख रही है.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है.
अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी और अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी झंडा दूतावास के अधिकारियों में से एक के पास है. अगले दो दिन में अमेरिका के 6,000 सुरक्षाकर्मी वहां मौजूद होंगे और वे हवाई यातायात नियंत्रण अपने कब्जे में ले लेंगे. बीते दो हफ्तों में विशेष वीजा धारक करीब 2,000 लोग काबुल से अमेरिका पहुंच चुके हैं.
काबुल में एयरपोर्ट पर जबरदस्त फायरिंग हुई है. इस फायरिंग के बाद एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला. तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका जैसा देश भी बेबस नजर आ रहा है. एयरपोर्ट पर हमले की खबर के बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों से एयरपोर्ट जाने से मना किया. अमेरिका ने अपने नागरिकों से सुरक्षित जगह पर शरण लेने को कहा है.
अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है. फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है.
तालिबान के एक अधिकारी ने कहा है कि विद्रोही संगठन जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से अफगानिस्तान को इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा करेगा. 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद अमेरिका नीत बलों द्वारा अफगानिस्तान से तालिबान को अपदस्थ करने के लिए शुरू किए गए हमलों से पहले भी आतंकी संगठन ने युद्धग्रस्त देश का नाम इस्लामी अमीरात अफगानिस्तान रखा हुआ था. तालिबान के अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान को जल्द ही काबुल स्थित राष्ट्रपति परिसर से इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा की जाएगी.
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर जाने के बीच कई वरिष्ठ अफगान नेता अपने देश के भविष्य पर एक बैठक में भाग लेने के लिए रविवार को पाकिस्तान पहुंचे. स्पीकर उलूसी जिरगा मीर रहमानी पूर्व मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी, पूर्व उप राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस कानूनी, वरिष्ठ नेता अहमद जिया मसूद, अहमद वली मसूद, अब्दुल लतीफ पेडरम, खालिद नूर और उस्ताद मोहम्मद मोहकीक प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं. इस समूह में वे लोग शामिल हैं जो 2001 में तालिबान के सत्ता से हटने के बाद विभिन्न सरकारों में रहे हैं.
अमेरिकी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि काबुल हवाईअड्डे को वाणिज्यिक उड़ानों के लिए बंद कर दिया गया है, क्योंकि वहां से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सैन्य विमान उड़ान भर रहे हैं. वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने से तालिबान के शासन से डर कर अफगानिस्तान से भागने का प्रयास करने वालों का अंतिम रास्ता भी बंद हो गया है.
तालिबान ने कुछ ही दिनों में देश के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया है और उसके लड़ाके रविवार को राजधानी काबुल में प्रवेश कर गए.
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शांति के नए युग का वादा किए जाने के बावजूद आम अफगानों के दिलों में क्रूर शासन की वापसी का डर घर करने लगा है. तमाम लोगों को डर है कि तालिबान उन सभी अधिकारों को समाप्त कर देगा जो पिछले करीब दो दशक में कड़ी मशक्कत से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय ने हासिल किए थे. साथ ही पत्रकारों और गैर-सरकारी संगठनों के काम करने की आजादी पर भी पाबंदी लगायी जा सकती है.
काबुल में गृह मंत्री के हवाले से बताया गया है कि सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की योजना बनायी जा रही है. काबुल में हालात बिगड़ने पर अमेरिका और कई अन्य देशों के दूतावासों ने शहर से अपने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है. तालिबान के लड़ाकों ने शहर के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया है, जिससे निवासियों में डर और घबराहट पैदा हो गया है. तालिबान ने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों समेत 34 में से 25 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है.
काबुल में गृह मंत्री के हवाले से बताया गया है कि सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की योजना बनायी जा रही है. काबुल में हालात बिगड़ने पर अमेरिका और कई अन्य देशों के दूतावासों ने शहर से अपने कर्मचारियों को निकालना शुरू कर दिया है. तालिबान के लड़ाकों ने शहर के बाहरी इलाकों में प्रवेश कर लिया है, जिससे निवासियों में डर और घबराहट पैदा हो गया है. तालिबान ने कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद जैसे शहरों समेत 34 में से 25 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा लिया है.
घटनाक्रम पर नजर रख रहे लोगों ने कहा कि भारत काबुल में भारतीय दूतावास के अपने कर्मचारियों और भारतीय नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डालेगी और जरूरत पड़ने पर आपात स्थिति में उन्हें वहां से निकालने के लिए योजनाएं बना ली गयी हैं. हालांकि अफगानिस्तान में तेजी से हो रहे घटनाक्रम पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है. समझा जाता है कि भारतीय वायु सेना के सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के एक बेड़े को लोगों और कर्मचारियों को निकालने के लिए तैयार रखा गया है.
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ब्रिटिश सैनिक देश के लोगों को काबुल से निकालकर स्वदेश लाने के लिये वहां पहुंच गए हैं. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को मंत्रिमंडल की आपात समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि ब्रिटिश नागरिकों और बीते 20 साल में अफगानिस्तान में ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वाले अफगानियों को जल्द से जल्द बाहर निकालना प्राथमिकता है. उन्होंने स्काई न्यूज से कहा, 'दिन-रात काम कर रहे राजदूत आवेदन प्रक्रिया में मदद के लिये हवाई अड्डे पर मौजूद हैं.'
अमेरिका और फ्रांस अपने सभी नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिये काबुल स्थित दूतावासों को फिलहाल अबू धाबी हवाई अड्डे पर स्थानांतरित कर दिया है. फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां य्वेस ली द्रेन ने रविवार को एक बयान में कहा कि आने वाले कुछ घंटों में संयुक्त अरब अमीरात में सैनिकों और विमानों की तैनाती की जाएगी. फ्रांस अपने नागरिकों को निकाले की प्रक्रिया हफ्तों पहले शुरू कर चुका है और जुलाई के मध्य से चार्टर उड़ाने भी शुरू की जा चुकी हैं.
बैकग्राउंड
Afghanistan News Live: बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है. अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है. फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है.
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ा
रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया. वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है. हालांकि, उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है. अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं.
नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है, जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे. नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए. वहीं काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे.
तालिबान ने एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा किया
अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं. अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अफगानिस्तान को इस मुश्किल स्थिति में छोड़कर देश से चले गए हैं. अल्लाह उन्हें जवाबदेह ठहराएं.’’ फगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा.
काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था. ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था. एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका. हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया.
अमेरिका सालों से, युद्ध से बाहर निकलने को प्रयासरत है. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो विद्रोहियों के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई को सीमित करता है. इसने तालिबान को अपनी ताकत जुटाने और प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति दी. वहीं राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अपनी योजना की घोषणा की.
तालिबान ने देश की सरकार के कब्जे वाली आखिरी सीमा पर भी कब्जा किया
रविवार की शुरुआत तालिबान द्वारा पास के जलालाबाद शहर पर कब्जा करने के साथ हुई - जो राजधानी के अलावा वह आखिरी प्रमुख शहर था जो उनके हाथ में नहीं था. अफगान अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने मैदान वर्दक, खोस्त, कपिसा और परवान प्रांतों की राजधानियों के साथ-साथ देश की सरकार के कब्जे वाली आखिरी सीमा पर भी कब्जा कर लिया.
बाद में बगराम हवाई ठिकाने पर तैनात सुरक्षा बलों ने तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. वहां एक जेल में करीब 5,000 कैदी बंद हैं. बगराम के जिला प्रमुख दरवेश रऊफी ने कहा कि इस आत्मसमर्पण से एक समय का अमेरिकी ठिकाना तालिबान लड़ाकों के हाथों में चला गया. जेल में तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह, दोनों के लड़ाके हैं.
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