काबुल: अफगानिस्तान लगातार संघर्ष क्षेत्र में रिपोर्टिंग करनेवाले पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश साबित हो रहा है. यहां अब तक 14 मीडियाकर्मियों की मौत हो चुकी है. काबुल में पांच सितंबर को आत्मघाती हमले की लाइव रिपोर्टिंग करने के कुछ क्षण बाद ही हुए एक कार विस्फोट में पत्रकार समीम फरामार्ज की मौत हो गई.


उनके साथ ही कैमरामैन रमीज अहमदी की भी मौत हो गई. तोलो न्यूज में काम कर रहे फरामार्ज के सहकर्मियों ने पत्रकार की मौत की लाइव रिपोर्टिंग लगभग रोते हुए की थी. युद्ध शुरू होने के बाद अब तक एक साल में मारे गए पत्रकारों की यह संख्या सबसे ज्यादा है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के बाद अब तक 60 पत्रकारों की मौत यहां हो चुकी है.


रॉयटर के रिपोर्टरों को माफ करने का अनुरोध
इसी बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें आशा है कि म्यामां सरकार समाचार एजेंसी रॉयटर के दो पत्रकारों को माफ कर देगी, जिन्हें सात साल की कैद की सजा सुनाई गई है. म्यामां के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई की रिपोर्टिंग करने को लेकर उन्हें यह सजा सुनाई गई है. गुतारेस ने कहा कि म्यामां में पत्रकार के तौर पर काम करने को लेकर वा लोन (32) और क्याव सो ओ (28) को जेल में रखना स्वीकार्य नहीं होगा.

उन्होंने न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कहा, ‘‘इस बारे में मुझे पूरा यकीन है कि यह नहीं होना चाहिए था और मुझे आशा है कि उनकी रिहाई का लेकर सरकार यथासंभव उन्हें माफ कर देगी.’’ गौरतलब है कि म्यामां की नेता आंग सान सू की ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों पत्रकारों को उनके काम की वजह से जेल नहीं भेजा गया, बल्कि सरकारी गोपनीयता कानून तोड़ने की वजह से अदालत ने उनके खिलाफ यह फैसला सुनाया है.

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