Afghanistan Minister On Woman: अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी (Taliban) सरकार के कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम (Neda Mohammad Nadim) ने रविवार (1 अक्टूबर) को औरतों के खिलाफ बयानबाजी की. उन्होंने बागलान यूनिवर्सिटी में एक सभा में बोलते हुए कहा कि इस्लामी शरिया कानून के अनुसार पुरुष और महिलाएं समान नहीं हैं. काबुल न्यूज एजेंसी टोलो की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि हम औरतों से जुड़े तालिबानी सिस्टम को खत्म करने की प्रक्रिया में है.
नेदा मोहम्मद नदीम ने पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि पश्चिमी देश पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता का प्रचार करते हैं, लेकिन दोनों एक जैसे नहीं है. उन्होंने तालिबानी सरकार की तरफ से औरतों के खिलाफ उठाए गए कदम को सही ठहराया. उन्होंने सभा के दौरान इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं और पुरुष समान नहीं हैं. अल्लाह ने पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर किया है.
'विज्ञान विषय महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं'
अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्री नेदा मोहम्मद नदीम ने कहा कि प्रकृति के नियम के अनुसार पुरुष महिलाओं से श्रेष्ठ हैं. हमें इस बात को तर्क के आधार पर झूठा साबित नहीं कर सकते हैं. उन्होंने पुरुष को शाषक कहा और समझाने की कोशिश की कि पुरुष महिलाओं पर अधिकार जमा सकते हैं. एक महिला को पुरुष की तरफ से दिए गए आज्ञा का पालन करना चाहिए और महिलाओं को उनके अधीन रहना चाहिए. महिलाओं को पुरुषों की हर बात माननी चाहिए.
तालिबानी शासन की तरफ से नियुक्त किए गए मंत्री ने तर्क दिया कि विज्ञान विषय महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं थे, उनका तर्क है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जाने वाले ये विषय इस्लाम के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं.
महिला छात्रों की गरिमा और सम्मान
तालिबानी मंत्री ने कहा कि इंजीनियरिंग, कृषि और कुछ अन्य पाठ्यक्रम महिला छात्रों की गरिमा और सम्मान और अफगान संस्कृति से मेल नहीं खाते हैं. देश भर में महिलाओं को पढ़ाने वाले मदरसों को तालिबान ने कानून के अनुसार बंद कर दिया है क्योंकि लिंग के मिश्रण को रोकने के लिए यह जरूरी था. तालिबान शासित शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल के प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को पूरे प्रांत में यह घोषणा करने का निर्देश दिया कि 10 वर्ष से अधिक उम्र की किसी भी लड़की को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की अनुमति नहीं है.
अफगानिस्तान में महिला मामलों के मंत्रालय ने स्कूलों में लड़कियों और लड़कों को उनके लिंग और उम्र के आधार पर अलग कर रहा है और तीसरी कक्षा की लड़कियों को घर जाने के लिए कह रहा है.