Afghanistan Ambassador: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार अब अपने राजदूत को भारत में तैनात करना चाहती है. इसके लिए वह कथित तौर पर भारत पर दबाव भी बना रही है. तालिबान भारत में राजदूत पद के लिए विवादों में घिरे अपने प्रवक्ता अब्दुल कहार बाल्खी का नाम आगे रख रहा है. अब्दुल कहार बाल्खी पर कथित तौर पर पत्रकारों को जान से मारने की धमकी देने का आरोप है.


द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपना दूतावास फिर से खोल दिया है. इसके बाद तालिबान चाहता है कि उसके राजदूत को नई दिल्ली में तैनात किया जाए. हालांकि, यह भारत के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती साबित हो सकता है, जो कथित तौर पर अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को फिर से मजबूत करना चाहता है. यह भी बताया जा रहा है कि तालिबान के विदेश मंत्रालय ने पिछले साल ही जुलाई में पहली बार अपने राजदूत की तैनाती का अनुरोध किया था. उस वक्त देश के संयुक्त सचिव जेपी सिंह काबुल के दौरे पर गए हुए थे. काबुल में स्थित दूतावास में देश के आईटीबीपी के करीब 80 जवान भी उनकी सुरक्षा के लिए मौजूद हैं.


महावाणिज्य दूतावास खोलने पर विचार
भारतीय अधिकारी अफगानिस्तान में खाने के समान और दवाओं के रूप में भारत की ओर से दिए जाने वाली मानवीय सहायता की देखरेख कर रहे हैं. भारत कंधार में अपना महावाणिज्य दूतावास खोलने पर भी विचार कर रहा है, जो अशरफ गनी सरकार के गिरने के बाद बंद हो गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबानी अधिकारी भारतीय खुफिया एजेंसियों के भी संपर्क में हैं.


अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, संयुक्त राष्ट्र मिशन को बंद कर दिया गया था. इससे तालिबान पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अलकायदा के आतंकियों के बारे में सूचनाओं का आदान-प्रदान होता था. 2019 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई थी कि लश्कर और जैश के ये आतंकी तालिबान की मदद कर रहे हैं. वे तालिबान शासन में एक लिंक, ट्रेनर और आईईडी बनाने में स्पेशलिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं.


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