Afghanistan Professor Arrest: महिला शिक्षा के समर्थन में लाइव टीवी पर प्रोफेसर ने फाड़ दिया था सर्टिफिकेट, अब तालिबान दे रहा है ऐसी सजा
Afghanistan Professor: प्रोफेसर इस्माइल मशाल तालिबान सरकार के उस फरमान के विरोध में हैं जिसमें महिलाओं की उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उनका कहना है कि वह मरते दम तक इसका विरोध करते रहेंगे.
Afghanistan Professor Detained: अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं की उच्च शिक्षा पर प्रतिबंध के खिलाफ आवाज उठाने पर एक प्रोफेसर की न केवल पिटाई की गई, बल्कि उनको हिरासत में भी ले लिया गया. प्रोफेसर इस्माइल मशाल (Ismail Mashal) ने लाइव टेलीविज़न पर विमेन यूनिवर्सिटी एजुकेशन पर लगे बैन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई थी. इस बात की जानकारी शुक्रवार (3 फरवरी) को प्रोफेसर के एक सहयोगी दी. प्रोफेसर ने पिछले साल दिसंबर में लाइव टीवी पर ही अपने डिग्री प्रमाण पत्रों को भी फाड़ दिया था.
इस्माइल मशाल को बेरहमी से पीटा गया
हाल के दिनों में स्थानीय चैनलों पर प्रोफेसर इस्माइल मशाल को काबुल के आसपास किताबों के साथ देखा गया था. वो आते-जाते लोगों को किताबें बांट रहे थे. मशाल के सहयोगी फरीद अहमद फाजली ने तालिबान सरकार का जिक्र करते हुए एएफपी को बताया, "इस्लामी अमीरात के सदस्यों ने मशाल को बेरहमी से पीटा और बहुत ही अपमानजनक तरीके से ले जाया गया." तालिबान के एक अधिकारी ने इस्माइल मशाल के गिरफ्तारी की पुष्टि की.
इस्माइल मशाल के सहयोगी का बयान
सूचना और संस्कृति मंत्रालय के निदेशक अब्दुल हक हम्माद ने ट्वीट किया, "प्रोफेसर मशाल कुछ समय से व्यवस्था के खिलाफ भड़काऊ गतिविधियों में शामिल थे और सुरक्षा एजेंसियां उन्हें जांच के लिए ले गई हैं." इस्माइल मशाल के सहयोगी फाजली ने कहा कि काबुल की तीन यूनिवर्सिटी में एक दशक से अधिक समय तक लेक्चरर रहे मशाल को गुरुवार (2 फरवरी) को हिरासत में लिया गया. उन्होंने कहा, "वह बहनों (महिलाओं) और पुरुषों को मुफ्त किताबें दे रहे थे. वह अब भी हिरासत में हैं और हम नहीं जानते कि उन्हें कहां रखा गया है." अफ़ग़ानिस्तान के निजी चैनल TOLOnews पर मशाल के सर्टिफिकेट नष्ट करने का फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया .
मशाल ने कहा था- विरोध करता रहूंगा
अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर लगे बैन पर इस्माइल मशाल ने एएफपी न्यूज को बताया था कि एक आदमी और एक शिक्षक के रूप में मैं उनके लिए कुछ और करने में असमर्थ था और मुझे लगा कि मेरे प्रमाणपत्र बेकार हो गए हैं. इसलिए, मैंने उन्हें फाड़ दिया. मैं अपनी आवाज उठा रहा हूं. मैं अपनी बहनों के साथ खड़ा हूं...मेरा विरोध जारी रहेगा, भले ही इसमें मेरी जान भी चली जाए." पुरुष छात्रों के एक छोटे समूह ने भी प्रतिबंध का विरोध करते हुए एक संक्षिप्त वॉकआउट किया था.
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