Taliban Women Ban: अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार ने अफगानी महिलाओं को एनजीओ में काम करने पर बैन लगा दिया है. तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि महिलाओं के खिलाफ बैन को पलटना जरूरी नहीं है. तालिबान सरकार ने शनिवार (14 जनवरी) को कहा कि वह इस्लामिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी काम को अनुमति नहीं है और देश में समूह के स्थापित नियमों के अनुसार महिलाओं के अधिकारों पर बैन से संबंधित चिंताओं से निपटा जाएगा.


खामा प्रेस ने बताया कि तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा, "इस्लामिक अमीरात इस्लामिक शरिया के अनुसार सभी मामलों को रेगुलेट करने की कोशिश करता है और सत्तारूढ़ सरकार देश में शरिया कानून के खिलाफ की गई कार्रवाई को अनुमति नहीं दे सकती है." शिक्षा बैन के बाद तालिबान प्रवक्ता ने कहा, महिलाओं के अधिकार प्राथमिकता नहीं. तालिबान की ओर से लाए गए नए बैन ने विरोध को तेज कर दिया है


NGO पर भी काम करने से लगी रोक


नई कार्रवाई के विरोध में देश के कई हिस्सों में महिला विश्वविद्यालय के छात्रों और महिला कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही ग्लोबल लेवल पर निंदा की. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, यूरोपीय संघ (ईयू), संयुक्त राष्ट्र (यूएन), ओआईसी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों सहित कुछ विदेशी सरकारों ने कार्रवाई की कड़ी निंदा की और तालिबान की कार्यवाहक सरकार से इसे हटाने की अपील की. खामा प्रेस ने बताया कि अफगान लड़कियों और महिलाओं को अपनी शिक्षा जारी रखने और गैर सरकारी संगठनों के साथ काम करना जारी रखा जाएगा.


500 मिलियन डालर का नुकसान


यूनिसेफ की ओर से अगस्त में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये फैक्ट पाया गया कि अफगानिस्तान में लड़कियां माध्यमिक शिक्षा से वंचित हैं, पिछले 12 महीनों में देश की अर्थव्यवस्था को कम से कम 500 मिलियन अमरीकी डॉलर का नुकसान हुआ है, जो कुल जीडीपी का 2.5 फीसदी है.खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ज़बीउल्ला मुजाहिद ने अफगानिस्तान के साझेदारों और अंतर्राष्ट्रीय सहायता संगठनों से अफ़ग़ानिस्तान में धार्मिक मांगों को समझने और मानवतावादी सहायता को राजनीति से जोड़ने से बचने के लिए भी कहा.


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