Terrorist attack in Pakistan: अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने किया पाकिस्तानी सैन्य चौकी पर हमला, तीन सैनिकों की मौत
Terrorist attack: अफगानिस्तान साथ ही साथ पड़ोसी पाकिस्तान में आतंकी हमलों में उल्लेखनीय वृद्धि, अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के सामने गंभीर सुरक्षा चुनौती बनकर उभरी है.
Terrorist attack on Pak military post: अफगानिस्तान में आतंकवादियों ने सीमा पार पाकिस्तानी सैन्य चौकी पर रात भर भारी हथियारों से गोलीबारी की, जिसमें तीन कर्मियों की मौत हो गई, सेना ने शनिवार जानकारी दी. नवीनतम हिंसा की वजह से अस्थिर क्षेत्र में खलबली मच गई.
एपी के मुताबिक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के बीहड़ उत्तरी वजीरिस्तान क्षेत्र में सेना की चौकी पर आतंकवादियों की गोलीबारी में कई लोग मारे गए. यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अफगानिस्तान हाल के दिनों में विस्फोटों की एक श्रृंखला से जूझ रहा है, इसमें शुक्रवार को उत्तरी कुंदुज प्रांत में एक मस्जिद पर बमबारी भी शामिल है, जिसमें 33 लोग मारे गए थे, जिसमें एक निकटवर्ती धार्मिक स्कूल या मदरसे के कई छात्र शामिल थे.
आतंकी हमलों में बढ़ोतरी तालिबान के लिए परेशानी
अफगानिस्तान साथ ही साथ पड़ोसी पाकिस्तान में आतंकी हमलों में उल्लेखनीय वृद्धि, अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के सामने गंभीर सुरक्षा चुनौती बनकर उभरी है, जो पिछले अगस्त में अमेरिकी और नाटो सैनिकों की अराजक वापसी के अंतिम दिनों में सत्ता में आए थे.
तालिबान की हालांकि कठोर धार्मिक विचाराधारा से प्रेरित आदेशों (जो 1990 के दशक के उनके शासन की याद दिलाते थे) की वजह से आलोचनाएं हुईं लेकिन सुरक्षा के प्रति उनके सख्त दृष्टिकोण की वजह से शुरुआती दिनों में बेहतर सुरक्षा की उम्मीद बंधी थी.
इस्लामिक स्टेट बना तालिबान की सबसे बड़ी चुनौती
हालाकि इस्लामिक स्टेट सहयोगी, जिसे खोरासन प्रांत में इस्लामिक स्टेट या आईएस-के (IS-K) के रूप में जाना जाता है, ने हाल ही में अफगानिस्तान के साथ-साथ पड़ोसी पाकिस्तान में बढ़ती हमलों की संख्या की जिम्मेदारी ली है. इस्लामिक स्टेट तालिबान के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
आईएस-के ने गुरुवार को पूरे अफगानिस्तान में हमलों की एक श्रृंखला की जिम्मेदारी ली, जिनमें से अधिकांश में देश के अल्पसंख्यक शियाओं को निशाना बनाया गया. शियाओं की कट्टरपंथी सुन्नी मुस्लिम समूह विधर्मी के रूप में निंदा करता है.
अफगानिस्तान में सक्रिय हैं कई आतंकी संगठन
हालांकि आईएस-के अफगानिस्तान में एकमात्र आतंकवादी संगठन नहीं है जो काबुल की तालिबान सरकार के सामने सुरक्षा दुविधा पैदा कर रहा है. हिंसक पाकिस्तानी तालिबान, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या (टीटीपी) के रूप में जाना जाता है, ने भी अपने अफगान ठिकाने से पाकिस्तान की सैन्य चौकियों पर अपना हमला तेज कर दिया है. इसके साथ ही आईएस-के ने भी पाकिस्तानी सैन्य कर्मियों को निशाना बनाकर किए गए कुछ हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचा है.
अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने वादा किया है कि कोई भी आतंकवादी समूह किसी अन्य देश पर हमला करने के लिए उसकी जमीन का इस्तेमाल नहीं करेगा, लेकिन काबुल ने अभी तक अफगानिस्तान में किसी भी टीटीपी नेता को न तो गिरफ्तार किया और न ही पाकिस्तान सौंपा है.
अफगानिस्तान में सक्रिय अन्य आतंकवादी समूहों में पूर्वी तुर्किस्तान आंदोलन के चीन के उग्रवादी उइगर शामिल हैं, जो उत्तर पश्चिमी चीन के लिए स्वतंत्रता चाहते हैं और इस्लामी आंदोलन उज्बेकिस्तान (आईएमयू) भी यहां सक्रिय है.
पाकिस्तान की तालीबान को चेतावनी
शनिवार को पाकिस्तान के सैन्य बयान में अफगानिस्तान के तालिबान शासकों को और अधिक करने की चेतावनी दी गई. पाकिस्तान के सैन्य बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान राष्ट्र के खिलाफ गतिविधियों के लिए आतंकवादियों द्वारा अफगान धरती के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता है और उम्मीद करता है कि अफगान सरकार भविष्य में इस तरह की गतिविधियों के संचालन की अनुमति नहीं देगी."
इस महीने की शुरुआत में घात लगाकर किए गए हमले में सात पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने के बाद, पाकिस्तान ने 16 अप्रैल को अफगानिस्तान के अंदर बमबारी से जवाबी कार्रवाई की थी. इस बीच, गुरुवार को को आईएस-के ने जिस अब्दुल रहीम शहीद स्कूल पर हमला किया था, उसे पठन-पाठन के लिए फिर से खोल दिया गया है. हमले में सात छात्रों की मौत हो गयी थी. स्कूल के प्रधानाचार्य ने कक्षाएं शुरू होने पर प्रत्येक छात्र को एक कलम और फूल दिया.
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