Afghanistan: पाबंदियों के बीच अफगानी महिलाओं ने शुरू की सामूहिक रसोई, सरकार से की खास मांग
Women in Afghanistan: अफगानिस्तान में महिलाओं की हालत क्या है यह किसी को बताने की जरुरत नहीं है. ऐसे में महिलाओं के समूह ने सामूहिक रसोई शुरू की है.
Afghanistan: अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकार कोई मायने नहीं रखते हैं. तालिबान शासन कई तरह की पाबंदियां महिलाओं पर लगा चुका है. महिलाओं के लिए यूनिवर्सिटी और एनजीओ के दरवाजे बंद हो चुके हैं. ऐसे में महिलाओं के पास घर में रहने के अलावा दूसरा कोई विकल्प बचा नहीं है. ऐसे में अफगानी महिलाएं घर में रहते हुए कुछ नया करने का प्रयास कर रही हैं. कुछ इसी तरह हेरात प्रांत में अफगान महिलाओं और लड़कियों के एक समूह ने एक रसोई स्थापित की है.
इस रसोई के जरिये महिलाओं और लड़कियों का यह समूह हर दिन अपने ग्राहकों को भोजन मुहैया कराता है. ख़ास बात यह है कि इस समूह ने घर के अंदर रहते हुए अपना व्यवसाय शुरू किया है. सामूहिक रसोई की प्रमुख मनिझा सादात ने कहा कि महिलाओं के घर से बाहर काम करने पर प्रतिबंध है, ऐसे में हमने घर पर रहते हुए काम करने की योजना बनाई है, इसलिए हमने अफगान पारंपरिक भोजन बनाना शुरू किया है.
गौरतलब है कि कई अफगानी महिलाएं और लड़कियां सरकार से अपना हक़ मांग चुकी है. कई संगठनों ने प्रदर्शन कर सरकार से महिलाओं को घर के बाहर काम करने की मांग की है. हालांकि, तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं पर अपने प्रतिबंधों को जारी रखा है.
महिलाओं ने की सरकार से ख़ास मांग
सामूहिक रसोई की प्रमुख मनिझा सादात ने कहा है कि भले ही हमें घर के बाहर काम करने की इजाजत नहीं मिल रही है, लेकिन हम सरकार से चाहते हैं कि वो हमारा समर्थन एंव सहयोग करें. हमें अपने घरों के बाहर काम करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने आगे कहा कि जब से कॉलेजों और स्कूलों में अफगानी महिलाओं ने जाना बंद कर दिया है, तब से हजारों महिलाएं घर पर ही रह गई हैं. ऐसे में इस तरह के चीजों को अगर सरकार प्रोत्साहित करती है तो महिलाओं के लिए यह बेहद ही कारगर साबित होगा.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर हो चुकी है तालिबान की निंदा
मालूम हो कि अफगानिस्तान में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों में महिलाओं और लड़कियों के काम करने पर प्रतिबंध हैं. हालांकि इन प्रतिबंधों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी. क्योंकि इन फैसलों से अफगान महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. हालांकि तालिबान पहले भी कह चुका है कि वह इस्लामिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी काम की अनुमति नहीं देगा .