पिछले हफ्ते सिक्किम के नाकु ला इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सेना के साथ झड़प के बाद पीछे हटने के मजबूर हुए चीन ने सोमवार का कहा कि वह सीमा पर शांति को लेकर प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही, उसने भारत को एक तरफा कोई कार्रवाई ना करने को कहा है.


चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से कहा गया- हमारे जवान सीमा पर भारत-"चीन सीमा क्षेत्र में शांति बरकरार रखने को लेकर प्रतिबद्ध है. चीन, भारत ये यह अपील कर रहा है कि किसी भी ऐसी एकतरफा कार्रवाई से बचे जिससे सीमा पर स्थिति बिगड़ जाए. सीमाई इलाकों में शांति बहाल रखने के लिए कदम उठाएं."





इससे पहले, भारतीय सेना ने सोमवार को कहा कि उत्तरी सिक्किम के नाकू ला इलाके में 20 जनवरी को भारत और चीन के सैनिकों के बीच ‘मामूली तनातनी’ हो गई थी जिसे निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों द्वारा सुलझा लिया गया. उल्लेखनीय है कि यह घटना पिछले साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के बीच हुई है.


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, भारतीय सेना ने संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘ यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में 20 जनवरी को ‘मामूली तनातनी’ हुई थी जिसे निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत स्थानीय कमांडरों ने सुलझा लिया. मीडिया से अनुरोध है कि इसे तूल देने या बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से बचे जो तथ्यात्मक रूप से गलत है.’’ घटना की जानकारी रखने वालों ने बताया कि चीन के सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार कर भारतीय इलाके में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें रोक दिया. उनका कहना है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच झगड़ा भी हुआ था.


उल्लेखनीय है कि नाकू ला वही स्थान है जहां पिछले साल 9 मई को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. इसके बाद पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग लेक इलाके में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और तब से अब तक करीब नौ महीने से वहां सैन्य गतिरोध जारी है. इस बीच, पूर्वी लद्दाख के सभी तनाव वाले इलाकों से सैनिकों की वापसी के उद्देश्य से रविवार को भारत और चीन की सेनाओं के बीच एक और दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई.


लद्दाख में शुरू हुए गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी ताकत मजबूत की है. भारत का साफ तौर पर कहना है कि यह चीन की जिम्मेदारी है कि सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया शुरू करे और पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले इलाके में तनाव कम करे. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं. क्षेत्र में दोनों पक्षों की लंबे समय तक डटे रहने की तैयारी है. इस बीच, कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर भी सौहार्दपूण समाधान के लिए वार्ता चल रही है.


ये भी पढ़ें: उत्तरी सिक्किम में भारत और चीन के सैनिकों के बीच ‘मामूली फेसऑफ’, स्थानीय कमांडर्स ने सुलझाया मामला