Nepal: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है, जिसके बाद से उनको लेकर तरह तरह की चर्चा हो रही है. इससे पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने भी अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने से मना कर दिया था. गौरतलब है कि 1990 में लोकतंत्र की बहाली के बाद से नेपाल में प्रधानमंत्री और मंत्रियों की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का चलन शुरू किया गया था.
बताते चलें कि लोकतंत्र की बहाली के बाद पहली निर्वाचित सरकार ने इस प्रथा की शुरुआत की थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने अपनी संपत्ति सर्वाजनिक कर लोकतंत्र की गरिमा को बढ़ाने का काम किया था. जिसके बाद से इस परंपरा को आगे बढ़ाया गया, 1990 से चली आ रही यह प्रथा 2018 तक जारी रही. लेकिन केपी शर्मा ओली सरकार के बाद आई शेर बहादुर देउबा सरकार ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया. इसके बाद से देउबा पर कई तरह के आरोप लगे. सवाल उठने लगे कि आखिर ऐसी क्या वजह थी जिससे उन्होंने अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की.
देउबा ने सम्पत्ति सार्वजनिक करने से किया इनकार
बताते चलें कि देउबा मात्र डेढ़ साल तक सत्ता में रहे. इस दौरान उनसे संपत्ति को सार्वजनिक करने के लिए कहा गया, जिस पर उन्होंने इनकार कर दिया था. अब इसी कड़ी में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है. इससे पहले 2017 में भी, प्रचंड ने कुछ ऐसा ही किया था जब उन्होंने अपने कार्यालय में पहले 100 दिनों में अपनी संपत्ति का विवरण प्रकाशित नहीं किया था. नेपाल के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2002 के अनुसार, देश के प्रधानमंत्री और मंत्रियों को 60 दिनों के भीतर अपनी संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करने का नियम है.
भारत दौरे पर आने वाले हैं प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद भारत दौरे पर आ सकते हैं. उनके इस दौरे से पहले मीडिया से बात करते हुए नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के सीनियर अधिकारी ने बताया कि हम भारत के लिए 25 साल के समझौते को लेकर एक प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं, लेकिन इस प्रस्ताव पर भारत सहमत है या नहीं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर होगा.