Bangladesh: पाकिस्तान के आर्थिक संकट की ख़बरें खूब सुर्ख़ियों में हैं. लोग बुनियादी जरूरतों के लिए भी तरस रहे हैं. इसी बीच बांग्लादेश (Bangladesh) के हालात भी बेहतर नजर नहीं आ रहे. बीते कुछ महीनों से देश के कुछ प्रमुख उद्योगों और उत्पादन पर असर नज़र आने लगा है. माना जा रहा है कि इसके पीछे डॉलर संकट, ईंधन और गैस की क़ीमतों में बढ़ोतरी है.
गौरतलब है कि डॉलर संकट के कारण बांग्लादेश बैंक ने बीते साल आयात पर कई पाबंदियां लगा दी थीं. पर्याप्त डॉलर नहीं होने के कारण कई व्यावसायिक बैंक भी आयात के लिए लेटर ऑफ़ क्रेडिट जारी नहीं कर पा रहे हैं. इसकी वजह से आयात करने वाले सबसे ज़्यादा मुसीबत में हैं. मीडिया रिपोर्ट की माने तो बांग्लादेश में डॉलर का गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है जिससे उसके बंदरगाहों पर विदेशों से आयातित, चीनी, सोयाबीन तेल, कच्चे माल तथा पाम तेल से लदे जहाज अटकने लगे हैं उसे छुड़ाने के लिए आयातकों को बैंकों की ओर से डॉलर उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा है.
कच्चा माल खरीद पाना हो रहा मुश्किल
बताया जा रहा है उद्योगों के लिए कच्चे माल की ख़रीदारी कर पाना कारोबारियों के लिए मुश्किल हो रहा है. ऐसे में इसका प्रभाव उद्योग और कारखानों पर भी पड़ रहा है. आलम यह है कि कई उघोग-कारखाने बंद होने के मुहाने पर खड़े हैं. वहीं कई तो बंद हो चुके हैं. डॉलर संकट के साथ ही बांग्लादेश में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम व्यसायियों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. ईंधन महंगा होने के कारण परिवहन और दूसरे ख़र्च बढ़ गए हैं. इसके साथ ही गैस के रेट बढ़ जाने से घरेलू जनजीवन भी प्रभावित हुआ है.
दवाइयां हो सकती हैं महंगी
डॉलर संकट, ईंधन और गैस की क़ीमतों की वजह से दवाईयां भी महंगी हो सकती हैं. दरअसल, इस समय बांग्लादेश में ज़रूरी दवाओं में से 98 फ़ीसदी देश में ही बन रही हैं. बांग्लादेश सरकार रेडिमेड कपड़ा उद्योग के बाद दवा उद्योग को ही मुख्य निर्यात उत्पाद मानती है.दवा बनाने के लिए कच्चे माल का 80 से 85 फ़ीसदी हिस्सा विदेशों से आयात किया जाता है. अब ऐसे में जब आयत करना मुश्किल हो रहा है तब दवाइयों के दाम बढ़ना स्वाभाविक हैं.