(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एयर चीफ मार्शल राकेश भदौरिया का बड़ा बयान- LAC पर भारतीय वायुसेना चीन पर पड़ेगी भारी
भारतीय वायुसेना प्रमुख राकेश भदौरिया ने कहा है कि भारत दोनों फ्रंटों पर एक साथ यानी चीन और पाकिस्तान से निपटने को तैयार है. उन्होंने कहा कि एलएसी पर भारतीय वायुसेना चीनी वायुसेना पर भारी पड़ेगी.
नई दिल्ली. एलएसी पर चल रहे टकराव के बीच वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने ऐलान किया है कि अगर चीन से युद्ध जैसी परिस्थिति आई तो भारतीय वायुसेना उस पर भारी पड़ सकती है. भारतीय वायुसेना ना केवल चीन बल्कि चीन और पाकिस्तान दोनों से एक साथ यानि टू-फ्रंट वॉर के लिए भी तैयार है.
88वें वायुसेना दिवस से पहले एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया सोमवार को राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भले ही चीन ने मिलिट्री-टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा निवेश किया हुआ है और उसके पास लंबी दूरी की उन्नत किस्म की मिसाइलें हैं लेकिन लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी के एयर-स्पेस में अगर कोई युद्ध हुई तो भारतीय वायुसेना चीन से बेहतर साबित होगी.
भदौरिया के मुताबिक, हम किसी भी पारंपरिक युद्ध के लिए तैयार है और टू-फ्रंट वॉर (यानी चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ दो मोर्चों पर लड़ने ) के लिए तैयार हैं. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर चीन हमारे खिलाफ पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर) स्थित स्कार्दू एयरबेस का इस्तेमाल करता है तो उन्हें कुछ नहीं कहना है. लेकिन उन्होनें ये जरूर कहा कि पिछले पांच महीने में (जब से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर टकराव शुरू हुआ है) तब से चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ की कोई जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन अगर ऐसी नौबत आई तो भारत अपने ढंग से निपटेगा.
एबीपी न्यूज के इस सवाल पर कि हाल ही में अमेरिका के बॉम्बर्स की हिंद महासागर में तैनाती ने चीन को किसी मिस-एडवेंचर से रोका है, वायुसेना प्रमुख ने साफ तौर से कहा कि "हमें अपनी जंग खुद लड़नी हैं, कोई दूसरा लड़ने नहीं आएगा." भदौरिया ने कहा कि अमेरिका ने अपने बॉम्बर्स की तैनाती अपने लिए की थी. भारत ने चीन के खिलाफ अपनी तैयारियां अमेरिका पर निर्भर होकर नहीं की है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि इस साल मई के महीने में चीन ने युद्धभ्यास की आड़ में एलएसी पर घुसपैठ करने की कोशिश की थी, लेकिन जितनी तेजी से वायुसेना की मदद से थलसेना ने अपनी तैनाती को पूर्वी लद्दाख सहित पूरी एलएसी पर मजबूत की उसकी उम्मीद चीन ने भी नहीं की थी.
भदौरिया के मुताबिक, पिछले पांच महीने से वायुसेना किसी भी तरह की एयर-स्ट्राइक की तैयारी कर चुकी है, लेकिन चीन सीमा पर इसकी जरूरत नहीं आई है. वायुसेना प्रमुख ने चीन से कोर कमांडर स्तर की धीमी गति से चल रही बातचीत पर भी चिंता जताई लेकिन, कहा कि उम्मीद है कि बातचीत का कोई सकारात्मक परिणाम निकेलगा.
भदौरिया ने कहा कि रफाल, चिनूक और अपाचे जैसे फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स के भारतीय वायुसेना में शामिल होने से भारत की मारक क्षमता काफी बढ़ गई है. उन्होनें कहा कि जिस तरह से एलएसी पर हमारी तैनाती हुई है उससे हमारी ऑपरेशन्ल तैयारियां का पता चलता है और हम किसी भी चुनौती और परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है.
8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना अपना 88वां स्थापना दिवस मना रही है. इस मौके पर राजधानी दिल्ली के करीब हिंडन एयरबेस पर फ्लाईपास्ट का आयोजन किया जाएगा जिसमें पहली बार फ्रांस से लिए रफाल लड़ाकू विमान मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेंगे.