नई दिल्ली: तालिबान के अफगानिस्तान में काबिज होने के बाद पूरी दुनिया में हलचल मच गई है, भारत, अमेरिका समेत दुनिया के ज्यादातर देशों को ये अंदेशा सताने लगा है कि हालात 20 साल पहले से भी ज्यादा बदतर हो सकते हैं. अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद वो सीरिया और इराक में अलकायदा से भी ज्यादा मजबूती के साथ उभरेगा. 


यही वजह है कि भारत  ही नहीं दुनिया के तमाम देश अफगानिस्तान में अपना दूतावास बंद कर अपने कर्मचारियों को वापस बुला रहे हैं, भारत में भी दूतावास के कर्मचारियों और वहां रह रहे 129 भारतीयों और अन्य यात्रियों को लेकर विमान भारत पहुंच चुका है, वहां से लौटे यात्रियों का कहना है कि वहां हालात बहुत खराब हैं.


अफगानिस्तान से लौटे एक यात्री ने एबीपी न्यूज़ से कहा, ''हम वहां से निकल कर बहुत खुश हैं, फ्लाइट कुछ देर से चली इसलीए थोड़ी घबराहट हुई. काबुल एयरपोर्ट पर भारी भीड़ है.'' वहीं एक और यात्री ने कहा कि अभी अफगानिस्तान में हालात बहुत खराब हैं, उम्मीद है कि अगले हफ्ते तक सब ठीक हो जाएगा.


भारत के अलावा और भी देश अपने दूतावासों को बंद कर रहे हैं और अपने कर्मचारियों को वापस बुला रहे हैं. यानी हर देश को पता है कि तालिबान को फलने फूलने दिया गया तो एक ना एक दिन उनके लिए भी मुसीबत खडी होने वाली है. कल अगर भारत के लिए मुसीबत खड़ी होगी तो दो दिन बाद उनकी भी नींद उड़ने वाली है.


जिस काबुल को जीतने में कोई महीने तो कोई दो महीने का अंदाजा लगा रहा था वो बिना एक भी गोली चले 24 घंटे में ही तालिबान के कब्जे में आ गया. अफगानिस्तान में तालिबान की ताकत उसे एक बार फिर अलकायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और आईसिस जैसे आतंकवादी संगठनों की पनाहगाह बन सकता है.


 अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी भारत के लिए फिलहाल कोई बड़ा खतरा भले ना दिखे लेकिन आने वाले दिनों में ये एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकता है. इसकी वजह भी साफ है. कश्मीर को लेकर पाकिस्तान जो नापाक साजिशें भारत के खिलाफ रच रहा है उसमें वो तालिबान का इस्तेमाल कर सकता है.


ये हर कोई जानता है कि तालिबान पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली ही नहीं उसी की पाली पोसी जमात है. पाकिस्तान ने ही तालिबान को हथियारों की ट्रेनिंग से लेकर हर तरह की मदद दी...और अब वो आने वाले दिनों में तालिबान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है. 


कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका, रूस, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि, अफगानिस्तान और तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बैठे. जिसके बाद अफगानिस्तान सकार ने हिंसा खत्म करने की शर्त पर सत्ता में बंटवारे का ऑफर दिया है. लेकिन तालिबान से भी पहले ये ऑफर पाकिस्तान ने ठुकरा दिया. 


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि अशरफ गनी के राष्ट्रपति रहते तालिबान सरकार से बात नहीं करेगा. दरअसल पाकिस्तान चाहता है कि तालिबान का सत्ता पर कब्जा बना रहे ताकि तालिबान के जरिए वो भारत विरोध की फसल बोता रहे.


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