Al Aqsa Mosque: मौजूदा समय में इजरायली सेना गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्ध लड़ रही है. यही वजह है कि इस साल इजरायली सरकार ने कथित रूप से रमजान के महीने में अल-अक्सा मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगा दिया है. जिसके बाद वहां कि सुरक्षा एजेंसी शिन बेट ने चिंता जाहिर की है. एजेंसी का मानना है कि रमजान के पवित्र महीने में अरब इजरायली लोगों को रोके जाने से स्थिति और गंभीर हो सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल ही में इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने एक खास बैठक की थी. इस दौरान उनके कुछ सलाहकारों ने उन्हें सुझाव दिया था कि रमजान के दौरान इस क्षेत्र में लोगों के इकठ्ठा होने से यहां की स्थिति और बिगड़ जाती है. यही वजह है कि इस बार सरकार ने मस्जिद में प्रवेश के लिए कुछ नियम बनाए हैं.
नियम के मुताबिक इस बार फिलिस्तीनी मुसलमानों को मस्जिद में बिल्कुल एंट्री नहीं मिलेगी. वहीं अन्य देशों के मुसलमानों के लिए भी नियम बनाए गए हैं. बताया जा रहा है 10 साल से छोटे एवं 70 साल से बड़े लोगों को ही इस बार अल-अक्सा मस्जिद में जाने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा अगर कोई शख्स फिलिस्तीन से समर्थित कुछ एक्टिविटी दिखाता है तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
इन नियमों के सामने आने के बाद फिलिस्तीनी मुसलमानों के साथ-साथ अरबी मुसलमानों का गुस्सा काफी बढ़ गया है. मुस्लिम समुदाय के इसी मिजाज को दखते हुए शिन बेट ने चेतावनी जारी की है. एजेंसी के प्रमुख रोनेन बार के मुताबिक अरब इजरायलियों पर प्रतिबंध लगाने से गुस्सा और भड़क सकता है. इस गुस्से का सीधे तौर पर फायदा हमास को मिलेगा.
बेट ने इजरायली सेना और मंत्रियों को चेतावनी देते हुए कहा है, अगर रमजान के दौरान अरब इजरायलियों को मस्जिद में जाने से रोका गया तो इजराइल और हमास के बीच जारी लड़ाई धार्मिक युद्ध में परिवर्तित हो जाएगा. इसका सीधे तौर पर फायदा हमास समूह को मिलेगा.
यह विचार यहूदियों और मुसलमानों के बीच झूठी भावना भर सकती हैं. अब तक इजरायली अरब के लोगों ने हमास का सर्मथन नहीं किया है. अगर उनके ऊपर भी प्रतिबंध लगता है तो केवल देश को नुकसान होगा. अरब इजरायलियों ने युद्ध के शुरुआत से ही शांति का मार्ग चुना है. यह फैसला उन्हें उकसाने जैसा हो सकता है.
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