Al-Qaeda Leader Killed In US Strike: अमेरीका (America) में उस आतंकी के नाम की चर्चा हमेशा रहती थी. उसे अल-कायदा (Al-Qaeda) के नंबर 2 नेता के रूप में जाना जाता था. वह ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) का चश्माधारी, दाढ़ी वाला डिप्टी था. पिता प्रोफेसर थे, नाना विश्वविद्यालय के अध्यक्ष थे. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे पढ़े लिखे घर के लड़के के दिमाग में इतना जहर भर गया. हाथ खून से लथपथ हो गए और वो बन गया दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी आंदोलन का मार्गदर्शन करने वाला मुखिया.


अमेरिका ने मार गिराया


आतंकवाद के खिलाफ 9/11 के बाद से ही अमेरिका सख्त है. हालांकि कई देशों में आतंक का पोषक होने का आरोप भी उसी पर लगता रहा है. आज सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बताया कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत एक सीक्रेट ऑफरेशन में अल-कायदा चीफ अयमान अल-जवाहिरी को हवाई हमले में मार गिराया है. तभी से अल-जवाहिरी की जिंदगी के बारे में खोजा जा रहा है. कैसे वो इतना क्रूर आतंकी संगठन का मुखिया बना इसकी कहानी आज हम आपको बताएंगे.


1990 के दशक में अल-कायदा से जुड़ा


आपको बता दें कि अल-जवाहिरी शुरू में अल कायदा के साथ नहीं जुड़ा था. वो अपने एक स्वयं के आतंकी संगठन का नेतृत्व करता था. उसका आतंकी समूह नागरिकों की अंधाधुंध हत्या के लिए मशहूर थी. हालांकि बाद में साल 1990 के दशक में औपचारिक रूप से वो और उसके आतंकी समूह ने अल-कायदा के साथ विलय कर लिया.


जवाहिरी मानता था कि "दूर के दुश्मन" यानी संयुक्त राज्य अमेरिका को हराने के लिए अल-कायदा को "निकट दुश्मन," पश्चिमी समर्थक अरब शासनों का भी मुकाबला करना होगा. 1998 के घोषणापत्र में जवाहिरी ने लिखा था, "अमेरिकियों और उनके सहयोगियों, चाहे वो किसी देश के नागरिक हों या सैनिक, उनको मारना प्रत्येक मुस्लिम के लिए एक व्यक्तिगत कर्तव्य है जो इसे हर उस देश में कर सकता है जहां ऐसा करना संभव है."


ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद आया चर्चा में


ओसामा बिन लादेन बतौर आंतकी पूरी दुनिया में जाना जाता था. उस तरह का नाम उसके उत्तराधिकारी जवाहिरी खुद नहीं कमा पाया लेकिन ओसामा के बाद धीरे-धीरे काबूल से लेकर पाकिस्तान तक उसने अल-कायदा के पुनरुत्थान का नेतृत्व किया. हालांकि  बाद के वर्षों में, अल-कायदा की ताकत धीरे-धीरे खत्म हो गई. समूह के अधिकांश आतंकी मारे जा चुके थे या छिपे हुए थे और संगठन को लगातार इस्लामिक स्टेट जैसे आक्रामक आतंकी संगठन द्वारा चुनौती दी गई थी.


2011 के बाद सीरिया और अन्य मध्य पूर्वी देशों में अल-कायदा पूरी तरह अपनी पकड़ बनाने में विफल रहा था. जवाहिरी काफी वक्त तक खबरों से गायब रहा. बीच-बीच में उसके वीडियो और आडियो या लेख आते रहे. सीआईए के एक पूर्व आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ और चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के सलाहकार ब्रूस रिडेल ने सितंबर के एक साक्षात्कार में  जवाहरी को लेकर कहा था, "जवाहिरी अल-कायदा का विचारक है, जो कार्रवाई करने वाले व्यक्ति के बजाय विचार का व्यक्ति है."


प्रोफेसर का बेटा कैसे बना आतंकी


दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादियों में से एक अल-जवाहिरी के आतंकी बनने की कहानी थोड़ी सख्ते में डाल देती है. इसकी वजह है कि वो एक पढ़े लिखे परिवार से आता था. उसका परिवार उच्च-मध्यम वर्गीय परिवार है. वो काहिरा का रहने वाला था, जो दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों में जाना जाता है.


अल-जवाहिरी के पिता, मोहम्मद रबी अल-जवाहिरी, औषध विज्ञान के प्रोफेसर थे और उनके नाना काहिरा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष थे. 19 जून, 1951 को जवाहिरी का जब जन्म हुआ.


बचपन में जवाहिरी अपने एक चाचा से बहुत प्रभावित था. उसके चाचा महफ़ौज़ अज़्ज़ाम मिस्र की धर्मनिरपेक्षतावादी सरकार के कड़े आलोचक थे. अपने चाचा के अलावा बचपन में उसे मिस्र के लेखक और बुद्धिजीवी सैय्यद कुतुब के लेखन ने भी काफी प्रभावित किया. बाद में मिस्र की सरकार ने सैय्यद कुतुब को फांसी दे दी और इसका आतंकी अयमान अल-जवाहिरी पर गहरा असर पड़ा.


लॉरेंस राइट द्वारा अपनी पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता पुस्तक "द लूमिंग टॉवर" में लिखा गया है कि जब 1966 में मिस्र की सरकार द्वारा कुतुब को फांसी दी गई तो उस वक्त 15 साल के अल-जवाहिरी ने अपने युवा दोस्तों के साथ एक समुह बनाया. इस समूह का मकसद था मिस्र की धर्मनिरपेक्ष सरकार को उखाड़ फेंकना और एक इस्लामी धर्मतंत्र की स्थापना करना. जवाहिरी के अनुयायियों का छोटा समूह 'जमात अल-जिहाद' के नाम से जाना जाने लगा.


इस दौरान जवाहिरी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. वो चिकित्सा कला में अपना करियर बना रहा था. काहिरा विश्वविद्यालय से चिकित्सा में डिग्री हासिल कर रहा था. उसने सेना के सर्जन के रूप में कुछ समय के लिए सेवा भी दी. बाद में मिस्र के ही एक परिवार की बेटी अज़्ज़ा नोएयर से उसने शादी की. उसका एक बेटा और पांच बेटियां हुईं. वो लगातार मुस्लिम ब्रदरहुड क्लिनिक के लिए काम करता रहा.


मुस्लिम ब्रदरहुड क्लिनिक में काम करते हुए, जवाहिरी को अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर शरणार्थी शिविरों में पहली बार यात्रा करने के लिए आमंत्रित किया गया था. वहां, उसने कई मुजाहिदीन का उपचार किया जो अफगानिस्तान में सोवियत संघ से लड़ते हुए घायल हुए थे.


मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सदात की हत्या


जहां एक तरफ वो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर शरणार्थी शिविरों में मुजाहिदीनों का उपचार कर रहा था तो वहीं दूसरी तरफ उसके द्वारा बनाए गए जिहाद समूह 'जमात अल-जिहाद' ने 1980 के दशक की शुरुआत में मिस्र के नेताओं की हत्या के लिए कई साजिशें शुरू कीं. 6 अक्टूबर 1981 को मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सदात की हत्या में इस समूह ने मुख्य भूमिका निभाई. 


राष्ट्रपति की हत्या के बाद बड़े पैमाने पर सरकारी कार्रवाई की गई. जवाहिरी को उसके सैकड़ों अनुयायियों के साथ जेल में डाल दिया गया. जवाहिरी को तीन साल की सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसने एक संस्मरण में दावा किया कि उसको जेल में यातना दी गई थी और तब उसने सरकार को उखाड़ फेंकने की कसम खाई थी.


जेल से निकलने के बाद जवाहरी ने दक्षिण एशिया की यात्रा की और कई मुजाहिदीन के संपर्क में आया. यहीं से उसकी  बिन लादेन के साथ आजीवन मित्रता की शुरुआत हुई और दोनों का खूनी खेल भयानक रूप से शुरू हुआ. 1997 में अफगानिस्तान में रहते हुए, जवाहिरी ने मिस्र के प्रसिद्ध लक्सर खंडहर में विदेशी पर्यटकों पर हमले की योजना बनाई. इसमें 62 लोगों की जान गई थी.


1998 में केन्या और तंजानिया फिर 9/11 की घटना


जवाहिरी, अल-कायदा के पहले हाई-प्रोफाइल आतंकवादी हमलों में से एक जो, 1998 में केन्या और तंजानिया की राजधानियों में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी की थी उसमें बिन लादेन का एक वरिष्ठ सलाहकार रहा था. इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे. इसके बाद इतिहास के सबसे क्रूर आतंकवादी हमलों में से एक जो न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में 11 सितंबर हुआ उसकी योजना भी बिन लादेन के साथ जवाहिरी ने बनाई थी.


इस हमले का प्रभारी जवाहिरी को ही बनाया गया था. उसने एक जैविक हथियार कार्यक्रम शुरू किया, अफगानिस्तान में एक प्रयोगशाला की स्थापना की और मानव बम से लेकर कत्ल करने के सबसे क्रूर तरीकों का प्रशिक्षण आतंकियों को दिया गया. हालांकि न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के कुछ ही हफ्तों के भीतर, एक अमेरिकी समर्थित सैन्य अभियान ने अल-कायदा के तालिबान सहयोगियों को अफगानिस्तान में सत्ता से बाहर कर दिया और जवाहिरी को अपनी जैव-हथियार प्रयोगशाला छोड़ भागना पड़ा था.


जवाहिरी बिन लादेन के साथ पाकिस्तान के कबायली इलाके में भाग गया. कई सालों तक दोनों में से किसी को कहीं देखा नहीं गया. अमेरिका को इनकी तलाश लगातार रही. 


अल-कायदा में बना नंबर 1 


मई 2o11 में बिन लादेन की मौत ने जवाहिरी को अल-कायदा में नंबर 1 लीडर बना दिया, लेकिन वो सबको एकसाथ नहीं रख सका और यही कारण रहा कि अबू मुसाब अल-जरकावी जैसे युवा कट्टरपंथी को प्रेरित करने में वो विफल रहा. इसके परिणाण स्वरूप अल-कायदा से अलग एक और आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट बना. धीरे-धीरे अल-कायदा की ताकत खत्म होती गई और अब दुनिया के लिए इस्लामिक स्टेट सबसे खूंखार आतंकी संगठन बन गया था.