एक्सप्लोरर

Albert Einstein: क्यों अल्बर्ट आइंस्टीन की मौत के बाद उनके दिमाग के 240 टुकड़े किए गए

Science News: अल्बर्ट आइंस्टीन मानव सभ्यता के सबसे महानतम वैज्ञानिक माने जाते हैं. उन्हें 1921 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार एक साल बाद 1922 में 9 नवम्बर के दिन दिया गया था.

Albert Einstein Special Story : दुनिया भर में लोगों को लगता है कि सूरज की रोशनी, बिजली का करंट, आग की गर्मी के रूप में जो ऊर्जा है वह कभी पदार्थ का रूप नहीं ले सकती है. या हमारी आंखों के सामने बस्तु के रूप में दिखने वाली कोई भी चीज ऊर्जा में तब्दील नहीं हो सकती. हालांकि इसके विपरीत इसे पहली बार वैज्ञानिक तौर पर सिद्धांत के रूप में प्रतिपादित करने वाले महानतम वैज्ञानिक का नाम अलबर्ट आइंस्टीन है. e =mc2 का फॉर्मूला देने वाले आइंस्टीन ने ही अपने इस सिद्धान्त में कहा था कि ऊर्जा कुछ और नहीं बल्कि द्रव्यमान और उसके गति का ही परिवर्तित रूप है.

भौतिकी के अपने महानतम सिद्धांतों के लिए मानव सभ्यता के इस सबसे महान वैज्ञानिक को आज ही के दिन 9 नवंबर 1921 की तारीख को नोबेल पुरस्कार मिला था. आज इस तारीख़ पर चलिए हम आपको बताते हैं कि इस महान वैज्ञानिक ने जीवन भर न केवल मानव सभ्यता के विकास के लिए अद्वितीय खोज की, बल्कि सुखी जीवन जीने के रास्ते भी दिखाए. यह उनकी महानतम खोजों का ही नतीजा था कि मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम करने वाले वैज्ञानिक ने उनका दिमाग बिना परिवार की अनुमति के चुरा लिया था और 224 टुकड़े करके अलग अलग वैज्ञानिकों के रिसर्च के लिए भेज दिया था.

जर्मनी में हुआ था जन्म, ब्रह्माण्ड की अदृश्य शक्तियों के प्रति आजीवन आकर्षण
आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी में वुर्टेमबर्ग के उल्म में हुआ था. धर्मनिरपेक्ष यहूदी माता-पिता की संतान आइंस्टीन लंबे समय तक सिर्फ एक लक्ष्यहीन मध्यवर्गीय युवा थे. इसके बाद उन्होंने 1915 में सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत विकसित किया. इसके छह साल बाद यानी 1921 में उन्‍हें भौतिकी के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला. इससे पहले पांच साल की उम्र में पहली बार कम्पास से उनकी मुलाकात हुई थी. उन्‍हें कम्‍पास देखकर बहुत आश्‍चर्य हुआ था. हालांकि, इसने उनके मन में ब्रह्मांड की अदृश्य शक्तियों के प्रति आजीवन आकर्षण को जन्म दिया. इसके बाद 12 साल की उम्र में पहली बार ज्यामिति की किताब को देखा था. इसे वह प्यार से अपनी ‘पवित्र छोटी ज्यामिति पुस्तक’ कहते थे.

क्यों एक साल बाद मिला नोबेल पुरस्कार
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को 1921 में 9 नवंबर को ही भौतिक शास्त्र (Physics) का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया गया था. हालांकि आइंस्टीन को यह पुरस्कार 1922 में प्राप्त हुआ. दरअसल हुआ यूं था कि 1921 में चयन प्रक्रिया के दौरान, भौतिकी के लिए नोबेल समिति ने पाया कि उस साल के नॉमिनेशंस में से कोई भी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में उल्लिखित मानदंडों को पूरा नहीं करता है. नोबेल फाउंडेशन की विधियों के अनुसार, ऐसे मामले में नोबेल पुरस्कार अगले वर्ष तक रिजर्व किया जा सकता है और यह कानून 1921 में इस्तेमाल किया गया. इसलिए अल्बर्ट आइंस्टाइन को एक साल बाद 1922 में 1921 का नोबेल पुरस्कार मिला. भौतिकी का नोबेल पुरस्कार 1921, अल्बर्ट आइंस्टाइन को "थ्योर्टिकल फिजिक्स में उनकी सेवाओं के लिए, और विशेष रूप से फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट के लॉ की खोज के लिए" प्रदान किया गया था.

10 करोड़ में बिका था आइंस्टीन का हाथ से लिखा छोटा नोट
साल 2017 में अल्बर्ट आइंस्टाइन के खुशहाल जीवन के बारे लिखा एक नोट येरूशलम में हुई नीलामी में करीब दस करोड़ 23 लाख रुपये में बिका था. यह नोट आइंस्टाइन ने 1922 में टोक्यो में इंपीरियल होटल के एक वेटर को बतौर टिप तब दिया था जब नोबेल पुरस्कार देने की जानकारी मिली थी.

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हुआ यूं था कि उस वक्त आइंस्टाइन को पल भर पहले ही यह बताया गया था कि उन्होंने फिजिक्स में साल 2021 का नोबेल पुरस्कार जीता है. आइंस्टाइन जापान में लेक्चर देने आए थे. यह संदेश उन तक पहुंचाने वाले को आइंस्टाइन ने होटल के पैड पर लिखा एक नोट भेंट किया क्योंकि उनके पास उसे बतौर इनाम देने के लिए कैश नहीं था.

नोट देते हुए उन्होंने कहा था कि भविष्य में यह कागज का टुकड़ा बेशकीमती हो सकता है. उस नोट में जर्मन भाषा में एक वाक्य लिखा हुआ था- "कामयाबी और उसके साथ आने वाली बेचैनी के बजाय एक शांत और विनम्र जीवन आपको अधिक खुशी देगा."

76 साल की उम्र में हुआ था निधन, इसके बाद चोरी हो गया दिमाग
जर्मनी के महान भैतिक विज्ञानी अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन को जब आखिरी समय में अस्‍पताल ले जाया जा रहा था, तो उन्‍हें पता था कि अब उनके पास ज्‍यादा समय नहीं बचा है. अस्‍पताल पहुंचने पर पर 76 वर्षीय आइंस्‍टीन ने डॉक्‍टर्स से कहा कि अब मुझे किसी तरह की मेडिकल सपोर्ट की जरूरत नहीं है. उन्‍होंने कहा, ‘मैं जब चाहूं तब चले जाना चाहता हूं. बनावटी जीवन जीने में कोई आनंद नहीं है. मैं अपने हिस्‍से का काम कर चुका हूं. अब मेरे जाने का वक्‍त आ गया है. मैं पूरी निष्‍ठा के साथ अब जाना चाहता हूं.’

जब 18 अप्रैल 1955 को अल्बर्ट आइंस्टीन की पेट की गंभीर समस्‍या के चलते मृत्यु हो गई, तो उन्होंने अपने पीछे एक अद्वितीय विरासत छोड़ी थी. घुंघराले बालों वाला मस्तिष्क दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए रहस्यों का अनंत ब्रह्माण्ड था. आइंस्‍टीन के निधन के कुछ घंटों बाद पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर डॉ. थॉमस हार्वे ने परिवार की मंजूरी के बिना उनका दिमाग निकाल लिया और अपने घर ले गए.

डॉ. हार्वे का कहना था कि दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली व्‍यक्ति के मस्तिष्क का अध्ययन करना जरूरी है. आइंस्‍टीन की अपने शरीर के किसी भी परीक्षण की मनाही के बाद भी उनके बेटे हांस ने डॉ. हार्वे को उनका काम करने दिया. दरअसल, हांस का मानना था कि डॉ. हार्वे जो करना चाहते हैं, वो दुनिया की भलाई के लिए जरूरी है. हार्वे ने आइंस्‍टीन के दिमाग की दर्जनों तस्वीर खींची.

दिमाग के किए गए थे 240 टुकड़े
डॉ. हार्वे ने तस्‍वीरें लेने के बाद आइंस्‍टीन के दिमाग को 240 टुकड़ों में काट दिया. इनमें से कुछ को उन्‍होंने अन्य शोधकर्ताओं को भेजा. कहा जाता है कि डॉ. हार्वे ने उनके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को एक साइडर बॉक्स में दूसरे शोधकर्ताओं तक पहुंचाया था, जिसे उन्होंने बीयर कूलर के नीचे रखा था. डॉ. हार्वे ने 1985 में आइंस्‍टीन के दिमाग पर एक पेपर प्रकाशित किया. इसमें उन्‍होंने लिखा कि ये दिमाग औसत मस्तिष्‍क से अलग दिखता है. इसीलिए अलग से तरह से काम भी करता है.

म्यूजियम में संरक्षित है आइंस्टीन का दिमाग
डॉ. हार्वे ने 90 के दशक में आइंस्टीन की पोती को आइंस्‍टीन के दिमाग का एक हिस्‍सा उपहार में देने की कोशिश की. हालांकि, उनकी पोती ने ये तोहफा लेने से इनकार कर दिया. आइंस्टीन के दिमाग को फिलाडेल्फिया के म्यूटर म्यूजियम में देखा जा सकता है जहां इसे जार में केमिकल के जरिए सुरक्षित तरीके से संरक्षित रखा गया है. आइंस्टीन के मस्तिष्क को इस उदाहरण से समझने की कोशिश की जा सकती है कि उन्होंने एक बार प्रिंसटन विश्‍वविद्यालय के कार्यालय के ब्लैकबोर्ड पर लिखा था, ‘नॉट एवरीथिंग दैट काउंट्स कैन बी काउंटेड एंड नॉट एवरीथिंग दैट कैन बी काउंटेड काउंट्स.’

ये भी पढ़ें :जानिए पहली बार धरती पर कैसे बनी थी ऑक्सीजन, इसका हवा से कोई लेना देना नहीं है

और देखें
Advertisement
Advertisement
Thu Apr 17, 7:47 pm
नई दिल्ली
28.4°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 54%   हवा: NW 8.8 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले  के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का पहला बयान
वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का पहला बयान
Bihar Elections 2025: बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
ना शाहरुख, ना सलमान...बॉलीवुड का ये स्टार सालों पहले दे चुका है 100 करोड़ी फिल्म, रातोंरात चमकी गई थी किस्मत
ना शाहरुख, ना सलमान...सालों पहले 100 करोड़ी फिल्म दे चुका है एक्टर
IPL 2025: झूठा निकला मोहम्मद सिराज का दावा! दिल्ली कैपिटल्स के मिचेल स्टार्क ने खोल दी पोल
झूठा निकला मोहम्मद सिराज का दावा! दिल्ली कैपिटल्स के मिचेल स्टार्क ने खोल दी पोल
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Logout Movie Review: Babil Khan ने किया कमाल, Social Media Followers की Race का अंजाम दिखाएगी फिल्मWaqf Act: बंगाल हिंसा पर स्थानीयों ने सुनाई दिल चीर वाली आपबीती  ! | Chitra TripathiWaqf Act: वक्फ कानून को लेकर आपस में भिड़े Firoz Bakht Ahmed और इस्लामिक स्कॉलर | Chitra TripathiWaqf Act: 'सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए'- Surendra Rajput | Congress | BJP | Chitra Tripathi

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले  के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का पहला बयान
वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का पहला बयान
Bihar Elections 2025: बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
बिहार में महागठबंधन की कोऑर्डिनेशन कमेटी बनी, तेजस्वी यादव करेंगे नेतृत्व- कृष्णा अल्लावरु
ना शाहरुख, ना सलमान...बॉलीवुड का ये स्टार सालों पहले दे चुका है 100 करोड़ी फिल्म, रातोंरात चमकी गई थी किस्मत
ना शाहरुख, ना सलमान...सालों पहले 100 करोड़ी फिल्म दे चुका है एक्टर
IPL 2025: झूठा निकला मोहम्मद सिराज का दावा! दिल्ली कैपिटल्स के मिचेल स्टार्क ने खोल दी पोल
झूठा निकला मोहम्मद सिराज का दावा! दिल्ली कैपिटल्स के मिचेल स्टार्क ने खोल दी पोल
अमरनाथ यात्रा के लिए यहां से होगा ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन, जानें कितनी लगेगी फीस
अमरनाथ यात्रा के लिए यहां से होगा ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन, जानें कितनी लगेगी फीस
'मंत्री पोनमुडी पर करें FIR या अवमानना के केस के लिए रहें तैयार', तमिलनाडु पुलिस से बोला हाई कोर्ट
'मंत्री पोनमुडी पर करें FIR या अवमानना के केस के लिए रहें तैयार', तमिलनाडु पुलिस से बोला हाई कोर्ट
नारियल, आंवला या कोई और...आपके बालों के लिए कौन सा तेल सही; इन ट्रिक्स से कर सकते हैं पता
नारियल, आंवला या कोई और...आपके बालों के लिए कौन सा तेल सही; इन ट्रिक्स से कर सकते हैं पता
ED और सीबीआई के चीफ सीधे किसे रिपोर्ट करते हैं? जानें क्या होता है सरकार का रोल
ED और सीबीआई के चीफ सीधे किसे रिपोर्ट करते हैं? जानें क्या होता है सरकार का रोल
Embed widget