Brain Eating Amoeba: अमेरिका में दो साल के बच्चे का दिमाग खा गया अमीबा, हुई दर्दनाक मौत, डॉक्टरों ने भी कर दिए थे हाथ खड़े
Brain-Eating Amoeba: अमेरिका के नेवादा में दो साल के मासूम बच्चे की मौत ‘दिमाग खाने वाला अमीबा' के कारण हुई है. मृत बच्चे की मां ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट कर घटना की जानकारी दी है.
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Brain-Eating Amoeba News: अमेरिका के नेवादा में दो साल के मासूम बच्चे की मौत नेगलेरिया फाउलेरी के संक्रमण से हुई है. जिसे आमतौर पर ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहा जाता है. ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चे के परिवार का दावा है कि झरने के पानी में खेलते समय बच्चा दिमाग खाने वाला अमीबा के संक्रमण का शिकार हो गया. जिससे उसकी मौत हो गई.
रिपोर्ट के अनुसार, मृत बच्चे का नाम वुडरो बंडी है. बच्चे की मां ब्रियाना ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर इस घटना की जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि वुडरो टर्नर बंडी ने इस खतरनाक संक्रमण से लगातार 7 दिनों तक संघर्ष किया. जबकि अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार, इस संक्रमण की चपेट में आने के बाद व्यक्ति तीन दिन से अधिक जीवित नहीं रह पाता, ऐसे में मेरे बेटे ने साथ दिनों तक संघर्ष किया. यह दर्शाता है कि मेरा बेटा दुनिया के सबसे मजबूत लोगों में से एक था.
बच्चे की मां ने लिखा भावुक पोस्ट
मृत बच्चे की मां ने लिखा कि ‘वह मेरा हीरो था और मुझे सबसे अच्छा बच्चा देने के लिए मैं हमेशा भगवान की आभारी रहूंगी. मुझे पता है कि एक दिन वह मुझे स्वर्ग में जरूर मिलेगा. मृत बच्चे को लेकर पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार द्वारा किए गए पोस्ट के मुताबिक, लड़के के माता-पिता को शुरू में पता चल गया था कि कुछ तो गड़बड़ है. ऐसे में उन्होंने बिना वक्त गंवाए उसे तुरंत अस्पताल गए. जहां डॉक्टरों ने हैरानी जताते हुए बताया कि बच्चा मस्तिष्क खाने वाला अमीबा से पीड़ित है. जिसके बाद डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए.
डॉक्टरों ने नहीं किया इलाज
बच्चे की मौत से दो दिन पहले उसकी मां ने सोशल मीडिया के जरिये दावा किया था कि उसके बच्चे का इलाज नहीं चल रहा है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) ने कोई भी इलाज देने से इनकार कर दिया है. क्योंकि उसके जिंदा बचने की कोई उम्मीद नहीं थी.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC के मुताबिक, दिमाग खाने वाले अमीबा का नाम नाइग्रीलिया फॉलेरी है. ये पानी में मौजूद होता है और नाक के रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है. इसके बाद दिमाग में पहुंचता है. धीरे-धीरे ये दिमाग की टिश्यू को नष्ट कर देता है. जिससे इंसान की मौत हो जाती है. इसने फरवरी 2023 में अमेरिका में 50 साल के एक व्यक्ति की जान भी ले ली थी.
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