नई दिल्ली: अमेरिका ने मान लिया है कि कोरोना वायरस मानव निर्मित या जैनेटिक तौर पर मॉडिफाइड नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रीय इंटेलिंजेंस निदेशक कार्यालय ने बयान जारी कर इस बाबत वैज्ञानिकों की राय से सहमति जताई है. हालांकि अमेरिका ने संक्रमण के कारणों की जांच का दरवाजा खुला रखा है.


अमेरिका के राष्ट्रीय इंटेलिजेंस निदेशक कार्यालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्यूनिटी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि कोरोना वायरस मानव निर्मित या जैनेटिक रूप से बदलाव कर नहीं बनाया गया है. इस बारे में अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्यूनिटी वैज्ञानिकों की तरफ से अब तक आई राय से इत्तेफाक रखती है.


हालांकि इस अमेरिकी खुफिया तंत्र से जुड़ी इस अहम संस्था ने अपने बयान में कोरोना संक्रमण के विस्तार पर जांच का दरवाजा भी खुला रखा है. अमेरिकी ओडीएनआई की तरफ से जारी बयान के मुताबिक अमेरिका की इंटेलिजेंस बिरादरी इस बात की जांच करती रहेगी कि चीन से दुनिया भर में फैले इस वायरस संक्रमण का विस्तार कैसे हुआ. अमेरिका इस बाबत सूचनाओं और जानकारियों को परखता रहेगा कि कोरोना वायरस क्या जानवरों के संपर्क में आने के कारण फैला या फिर इसका कारण वुहान की प्रयोगशाला में हुआ कोई हादसा था.



महत्वपूर्ण है कि महज तीन महीने में दुनिया भर के डेढ लाख से अधिक लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस की पैदाइश को लेकर इस दौरान कई बार वाल उठते रहे. एक इजराइली वैज्ञानिक ने सबसे पहले यह दावा किया था कि यह वायरस मानव निर्मित है. इसके बाद कई लोग इसको लेकर प्रश्न उठाते रहे. हालांकि वैज्ञानिक अभी तक इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए कि कोरोना वायरस कृत्रिम और मानव निर्मित है. इन सवालों की एक वजह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भी है क्योंकि वुहान शहर से ही कोरोना का कहर शुरु हुआ था.


कोरोना वायरस संक्रमण पर कोई ठोस जानकारी तो उपलब्ध नहीं है. मगर अनुमान है कि यह वायरस वुहान में जंगली जानवरों के मांस बाजार में बिकने वाले चमगादड़ों औऱ पेंगोलिन के जरिए इंसानों में आया. शुरुआत में वुहान के वैट मार्केट में ही इस बीमारी के सबसे ज्यादा केस समाने आए थे.