Russia Wagner Conflict Update: निजी सेना वैग्नर के प्रमुख के अपने सैनिकों को मॉस्को (Moscow) की तरफ आगे बढ़ने से रुकने के आदेश देने के बाद रूस में पैदा हुआ संकट खत्म हो गया है. इसी बीच इस घटना से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने शनिवार (24 जून) को सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पहले से संदेह था कि वैग्नर प्रमुख येवेनी प्रीगोझिन (Evgeny Prigozhin) अपने सैनिकों के साथ रूसी सरकार के खिलाफ एक बड़ा उठाने कदम की योजना बना रहे थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन और सैन्य कमांडरों को बुधवार को ही वैग्नर की तैयारियों के बारे में जानकारी दे दी गई थी. जैसे ही कुछ और जानकारी मिली तो गुरुवार को भी एक और ब्रीफिंग आयोजित की गई जिसमें कांग्रेस नेताओं के एक ग्रुप ने हिस्सा लिया.
रूस में वैग्नर सेना की बगावत
रूस में स्थिति शुक्रवार की रात ही बिगड़ गई थी जब येवेनी प्रीगोझिन ने रूसी रक्षा मंत्रालय पर वैग्नर शिविर पर मिसाइल हमला करने का आरोप लगाया और जवाबी कार्रवाई की बात कही. हालांकि मंत्रालय ने इस आरोप से इनकार किया और उकसावे का आरोप लगाया. इसके कुछ घंटे बाद ही वैग्नर सैनिकों ने दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में सैन्य फैसिलिटी पर कब्जा कर लिया.
येवेनी प्रीगोझिन ने दिया था ये आदेश
इसके साथ ही येवेनी प्रीगोझिन ने अपने सैनिकों को मॉस्को की तरफ आगे बढ़ने का भी आदेश दिया. न्यूयॉर्क टाइम्स के सूत्रों के अनुसार, विद्रोह से पहले अमेरिका के अधिकारियों को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को इस खतरे के बारे में अलर्ट करने की कोई योजना नहीं थी क्योंकि उन्हें डर था कि रूस उन पर तख्तापलट करने का आरोप लगा सकता है.
अमेरिकी अधिकारियों को थी ये चिंता
अमेरिकी अधिकारी कथित तौर पर इस संभावित संघर्ष को लेकर परेशान थे, क्योंकि उन्हें चिंता थी कि रूस में अराजकता से परमाणु जोखिम पैदा हो सकते हैं. शनिवार को वैग्नर के विद्रोह के बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने पश्चिम को चेतावनी भी दी कि रूस के खिलाफ इस तरह की कोई भी कोशिश बेकार होगी. वहीं पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि एक प्रमुख परमाणु शक्ति में तख्तापलट के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं और मॉस्को ऐसा कभी नहीं होने देगा.
व्लादिमीर पुतिन ने किया संबोधित
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस बगावत के बीच राष्ट्र को संबोधित किया था. उन्होंने इसे विश्वासघात करार दिया, और लोगों और रूस की रक्षा करने का वादा किया. व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अपने भविष्य के लिए सबसे कठिन लड़ाई लड़ रहा है. इसके बाद येवेनी प्रीगोझिन ने विश्वासघात करने के पुतिन के आरोपों से इनकार किया और अपने लड़ाकों को देशभक्त बताया. उन्होंने शनिवार को अपने सैनिकों को मॉस्को की तरफ आगे बढ़ने से रुकने के आदेश दिए.
प्रीगोझिन और अमेरिका के बीच सीक्रेट डील?
इस बगावत को लेकर बड़ा खुलासा भी हुआ है. जिसमें कहा जा रहा है कि इस विद्रोह को लेकर येवेनी प्रीगोझिन और अमेरिका के बीच सीक्रेट डील हुई थी. कभी पुतिन के सबसे भरोसेमंद रहे प्रीगोझिन ने अचानक मोर्चा नहीं खोला बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी साजिश थी. हालांकि, ये भी कहा जा रहा है कि रूस में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे अमेरिका का हाथ है. कहा जा रहा है कि प्रीगोझिन की ओर से उठाए गए कदम के बाद उन्हें अमेरिका की ओर से बड़ी राहत दी गई है.
वैग्नर पर नरम हो रहा अमेरिका
प्रीगोझिन के विद्रोह के समय को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. इस बगावत की अंदरुनी कहानी भी सामने आ गई है. सीक्रेट डील के तीन बड़े सबूत हैं. पहला सबूत है कि अमेरिका अचानक वैग्नर पर इतना नरम हो रहा है. दूसरा सबूत ये है कि मीडिया को शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अमेरिका को इस पूरे विद्रोह की पहले से ही जानकारी थी. तीसरा सबूत ये है कि प्रीगोझिन पुतिन के खिलाफ अमेरिका के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं. इसलिए उसके साथ डील में अमेरिका को बड़ा फायदा हो सकता है.
वैग्नर ग्रुप पर बैन नहीं लगाएगा यूएस
मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका फिलहाल वैग्नर ग्रुप पर बैन नहीं लगाएगा. वैग्नर पर अफ्रीकी देशों में सोने के खनन के लिए प्रतिबंध लगाया जाना था, जिसमें कहा गया था कि वह सोने के खनन की कमाई से रूस को युद्ध में मदद कर रहा था, लेकिन विद्रोह प्रकरण के बीच अमेरिका ने प्रतिबंध टालने का फैसला किया है. बता दें कि, वैग्नर आर्मी अफ्रीकी देश लीबिया, माली और सूडान में तैनात है. यहां संसाधनों और राजनयिक समर्थन के बदले में वैग्नर ग्रुप अफ्रीका की मदद करता है.
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