Putin China Visit: पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात से बौखलाया अमेरिका, बीजिंग को दे दी धमकी
US on China: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से अमेरिका नाराज हो गया है. US ने कहा, दोहरी नीति के साथ बीजिंग पश्चिमी देशों के साथ संबंध हासिल नहीं कर सकता है.
US on Putin China Visit: रूस के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद व्लादिमीर पुतिन अपने पहले विदेश दौरे चीन पर हैं. इस दौरान व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के बीच बैठक हुई. इस बैठक के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका नाराज हो गया है. अमेरिका ने बीजिंग पर हमला बोलते हुए कहा देश के पास 'दोनों तरीके' नहीं हो सकते. दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान पश्चिमी देश यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं और लगातार रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. ऐसे में रूस सक्रिय रूप से चीन का समर्थन मांग रहा है.
रायटर्स ने कहा, चीन रणनीतिक और राजनयिक तौर पर रूस का समर्थन करता है. संयुक्त राष्ट्र में चीन पहले ही रूसी प्रतिबंधों के खिलाफ वकालत कर चुका है, साथ ही जारी युद्ध के समाधान की बात करता है. हालांकि, चीन इतना संतुलित समर्थन करता है, जिससे उसके पश्चिमी देशों के साथ व्यापारिक संबंध बरकरार रहें.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर चीन चाहता है राजनीतिक समाधान
व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात से जुड़ी अमेरिकी टिप्पणी गुरुवार को सामने आई. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स के दौरान यह टिप्पणी दी है. उन्होंने बताया कि अमेरिका चीन की टिप्पणियों को कैसे देखता है. दरअसल, शी जिनपिंग रूस-यूक्रेन युद्ध के 'राजनीतिक समाधान' की बात कही थी और रूस-चीन सबंधों को दुनिया के लिए स्थिर करने वाला बताया था.
चीन नहीं चाहता पश्चिमी देशों के साथ संबंध- अमेरिका
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वेदातं पटेल ने कहा, 'चीन आने वाले दिनों में यूरोपीय देशों के साथ अच्छे और गहरे संबंध नहीं रखना चाहता है. आने वाले दिनों में चीन यूरोपीय देशों के लिए खतरे को बढ़ावा देना जारी रख सकता है.' पटेल ने बताया कि इस पर अमेरिका का रुख जी-7 देशों, नाटो साझेदारों और यूरोपीय संघ के साझेदारों की तरफ से साझा किया गया है.
चीन रूस को भेज रहा हथियार
पटेल ने आगे अपने बयान में कहा कि चीन कथित तौर पर रूस को हथियारों की सप्लाई कर रहा है. चीन की इस तरह की कार्रवाई न सिर्फ यूक्रेन बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी यह खतरनाक है. बीजिंग इस तरह के किसी भी रूसी समर्थन के साथ यूरोपीय देशों के साथ बेतहर संबंध हासिल नहीं कर सकता है.
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