संयुक्त राष्ट्र: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे तनाव की गूंज संयुक्‍त राष्‍ट्र तक पहुंच चुकी है. अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों के बयानों में भी ये तल्खी दिखाई दी. वहीं दूसरे देशों के नेताओं ने कोरोना काल में इस तनाव पर चिंता जाहिर की. संयुक्त राष्ट्र में चीन बनाम अमेरिका के बीच खराब होते संबंध साफ नजर आए. यूएन की 75वीं वर्षगांठ पर शब्द बाणों के जरिए शी जिनपिंग और ट्रंप एक दूसरे पर हमला करते नजर आए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर हमले के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका पर प्रहार किया.


चीन के राष्ट्रपति ने क्या कहा ?
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोरोना पर बात करते हुए कहा, "कोविड-19 हमें याद दिलाता है कि आर्थिक ग्लोबलाइजेशन एक निर्विवाद वास्तविकता और ऐतिहासिक प्रवृत्ति है. शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर घुसाना या बदलाव के पुराने तरीके इतिहास की प्रवृत्ति के खिलाफ जाते हैं. हमें साफ पता होना चाहिए कि दुनिया कभी भी अलगाव में नहीं लौटेगी और कोई भी देशों के बीच संबंधों को नहीं बदल सकता है."


राष्ट्रपति ट्रंप का पलटवार
चीनी राष्ट्रपति का बयान अमेरिकी राष्ट्रपति को जवाब था. ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में कोरोना को 'चीनी वायरस’
कहा. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ''हमने अदृश्य दुश्मन, 'चीनी वायरस' के खिलाफ एक जबरदस्त लड़ाई छेड़ दी है, जिसने 188 देशों में अनगिनत जिंदगियों को खत्म कर दिया है.''


ट्रंप यहीं नहीं रूके. उनके भाषण का एक हिस्सा चीन पर ही था जिसमें उन्होंने कहा कि कोरोना को दुनिया में फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ''चीन ने घरेलू उड़ाने बंद कर दीं जबकि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों चलने दीं ताकि कोरोना दुनिया को संक्रमित कर सके. मैंने ट्रैवल बैन लगाया जो उन्होंने मेरी निंदा की पर उन्होंने अपने लोगों को घरों में कैद कर दिया.''


ट्रंप ने आगे कहा, ''चीनी सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन, जो चीन द्वारा नियंत्रित है, दोनों ने झूठी घोषणा कि ये इंसानों में नहीं फैलता. उन्होंने झूठ कहा कि बिना लक्षणों वाले लोग कोरोना नहीं फैलाते. UN को चीन की हरकतों के लिए उसे जवाबदेह ठहराना चाहिए.''


संयुक्त राष्ट्र महासभा को जानें
193 सदस्‍यों वाले संयुक्‍त राष्‍ट्र के लिए सबसे बड़ा आयोजन होता है महासभा जहां दुनिया के सारे बड़े नेता जुटते हैं. कोरोना काल में इस बार नेताओं के रिकॉडेड भाषण हो रहे हैं. इस मौके पर दुनिया के कई देशों ने अमेरिका और चीन के तनाव पर चिंता जताई.


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