अमेरिका में साल 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमेरिकी संसद भवन में हुई हिंसा को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उनके सहयोगियों ने आपराधिक साजिश रची थी. यूएस कैपिटल (US Capitol) में हुई हिंसा मामले की जांच कर रही पार्लियामेंट की एक कमेटी ने बुधवार को कहा कि इस बात के सबूत हैं कि डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों ने राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को प्रभावित करने के लिए आपराधिक साजिश रची. कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूएस कैपिटल में हिंसा के लिए आपराधिक साजिश का हिस्सा थे. कमेटी का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव परिणामों को पलटने के मकसद से उसके बारे में गलत सूचनाएं फैलाईं गईं. साथ ही अधिकारियों पर चुनाव परिणामों को पलटने का दबाव बनाया गया. 


'यूएस कैपिटल में हिंसा के लिए ट्रंप ने रची आपराधिक साजिश'


पैनल ने अपने प्रतिवेदन में कहा है कि सेलेक्ट कमेटी के पास यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उनके अभियान के सदस्य अमेरिका को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश में शामिल थे. कमेटी की ओर से डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार जॉन ईस्टमैन (John Eastman) की ओर से दायर वाद के जवाब में यह दावा किया गया है. वकील ईस्टमैन 6 जनवरी को यूएस कैपिटल में हुई हिंसा से जुड़े दस्तावेजों को कमेटी को दिए जाने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं. उधर सांसदों ने कहा कि उनके सबूत यह निष्कर्ष निकालने के लिए एक अच्छा विश्वास आधार प्रदान करते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प ने धारा 18 यू.एस.सी.1512 (सी) (2) का उल्लंघन किया है.


ट्रंप पर महाभियोग भी लगाया गया था


अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक यह एक ऐसा कानून है जो इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ कोई अपराध करने के लिए, या अमेरिका की किसी भी एजेंसी को किसी भी तरह से या किसी भी उद्देश्य के लिए धोखा देने के लिए एक अपराध की श्रेणी में लाता है. बता दें कि 6 जनवरी 2020 को व्हाइट हाउस के पास एक उग्र भाषण के बाद ट्रंप ने चुनावी धोखाधड़ी के अपने झूठे दावे का दोहराया था और वहां जमा भीड़ से लड़ने के लिए आग्रह किया था. जिसके बाद काफी संख्या में लोगों ने यूएस कैपिटल तक मार्च किया. इस दौरान भारी हिंसा फैल गई थी. कैपिटल दंगा के बाद डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ भीड़ को उकसाने का आरोप लगाते हुए ऐतिहासिक दूसरी बार महाभियोग लगाया गया था लेकिन सीनेट ने उन्हें बरी कर दिया था.


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