वाशिंगटन: ऐसा माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन, चीन के साथ गहन 'सद्भावना' वार्ता कर रहे हैं, ताकि आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने को लेकर कोई 'समझौता' किया जा सके.


मामले के जानकार लोगों के अनुसार यदि इस प्रयास के बावजूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जाता तो तीन स्थायी सदस्य इस मुद्दे पर खुली बहस के लिए प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली शाखा में पेश करने की योजना बना रहे हैं.


चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति में पेश प्रस्ताव को बुधवार को चौथी बार बाधित किया.


इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने पेश किया था. भारत ने चीन के इस रुख के प्रति निराशा जताई है और प्रस्ताव पेश करने वाले देशों ने चेताया है कि वे अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए 'अन्य कदमों' पर विचार करेंगे.


हालांकि सुरक्षा परिषद समिति की आंतरिक वार्ताएं गोपनीय रखी जाती हैं लेकिन इस बार आतंकवादी को बचाने के चीन के अनुचित दृष्टिकोण से हताश परिषद के कई सदस्यों ने अपनी पहचान गोपनीय रखते हुए मीडिया को बताया कि चीन किस प्रकार नकारात्मक भूमिका निभा रहा है.


ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्ताव के मूल प्रायोजक पिछले 50 घंटों से चीन के साथ 'सद्भावना' वार्ता कर रहे हैं जिसे मामले के जानकार कई लोगों ने 'समझौता' करार दिया है. इसका संभवत: यह मतलब है कि अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति में वैश्विक आतंकवादी तो घोषित किया जाएगा लेकिन उसे आतंकवादी घोषित करते समय इस्तेमाल की जाने वाली भाषा ऐसी होगी, जो चीन के लिए स्वीकार्य हो.


माना जा रहा है कि चीन ने अजहर को आतंकवादी घोषित किए जाने की भाषा में 'कुछ बदलावों' का सुझाव दिया है और अमेरिका, ब्रिटेन तथा फ्रांस इन सुझावों पर विचार कर रहे हैं.


तीनों देशों ने संकेत दिया है कि यदि प्रस्ताव का मूल भाव नहीं बदलता और अंतत: अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाता है तो वे भाषा में बदलाव करने के चीन के अनुरोध को मानने के इच्छुक हैं.


लेकिन अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य अतीत के विपरीत, इस बार चीन के साथ वार्ता का निष्कर्ष निकलने तक बहुत अधिक देर इंतजार करने के इच्छुक नहीं हैं. ऐसा समझा जाता है कि चीन को इन देशों ने सूचित किया है कि वे अन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. वे खासकर खुली बहस पर विचार कर रहे हैं जिसके बाद प्रस्ताव पर मतदान होगा.


बीजिंग को बताया गया है कि यह कुछ महीनों, कुछ सप्ताह में नहीं, बल्कि कुछ दिनों में होगा.


साथ ही, इन देशों के अधिकारियों का मानना है कि चीन पहले की तुलना में इस बार अधिक सहयोग कर रहा है. इस प्रस्ताव पर चीन का सहयोग मिलने को बड़ी सफलता माना जाएगा. चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के बीच बातचीत होना एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.


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