America: अमेरिका के एक सरकारी पैनल ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर एक बार फिर सवाल उठाया है. साथ ही दावा किया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से वकालत करने वालों को दबाया जा रहा है. इससे पहले भी अमेरिका भारत में धार्मिक आजादी को लेकर सवाल उठा चुका है. यह कुल चौथी बार है, जब अमेरिका ने इस बात का जिक्र किया है.
अमेरिका ने भारत में सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों को धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराया है. पैनल के अनुसार, साल 2022 में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति में लगातार गिरावट देखी गई है. अमेरिकी सरकारी पैनल ने अपनी रिपोर्ट में गोहत्या का भी जिक्र किया है.
USCIRF ने जारी की अपनी रिपोर्ट
यूनाइटेड स्टे्टस ऑन इंटरनेशनल रीलीजिसयस फ्रीडम (USCIRF) ने 2022 का वार्षिक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में अमेरिका ने भारत के अल्पसंख्यकों की धार्मिक आजादी को लेकर चिंता जाहिर की है. अमेरिकी पैनल ने विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह भारत को एक खास चिंता वाले देश के तौर पर चिन्हित करे.
यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में भारत का जिक्र करते हुए कहा है कि यहां धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब होती गई है. भारत में धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ रहे हैं. पैनल का मानना है कि भारत सरकार ने साल 2022 में राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर धार्मिक रूप से भेदभावपूर्ण नीतियों को बढ़ावा दिया है.
रिपोर्ट में गोहत्या का भी जिक्र
अमेरिका के सरकारी रिपोर्ट में धर्म परिवर्तन को निशाना बनाने वाले कानून, अंतरधर्म संबंध, हिजाब पहनने और गोहत्या जैसे मुद्दे को शामिल किया है. अमेरिका का दावा है कि ऐसे मुद्दे ने मुसलमानों, ईसाईयों, सिखों, दलितों और आदिवासियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है.
भारत में अल्पसंख्यकों को दबाया जा रहा: रिपोर्ट
यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता कैसी है और कौन सा धर्म कहां खतरे में है, इसको लेकर पूरी जानकारी दी है. यूनाइटेड स्टे्टस ऑन इंटरनेशनल रीलीजिसयस फ्रीडम (USCIRF) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की 1.4 अरब की आबादी में करीब 14 फीसदी मुसलमान, लगभग दो प्रतिशत ईसाई हैं, और 1.7 फीसदी सिख हैं. इसके साथ ही देश की करीब 80 फीसदी आबादी हिंदू है. ऐसे में यहां धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से वकालत करने वालों को दबाया जा रहा है. पिछले साथ भी अमेरिका ने इन मुद्दों पर चिंता जाहिर की थी.
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