America on Solar Panel: अमेरिका की नजर अब आपकी छतों पर लगे सोलर पैनल पर है. ऐसा इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि अमेरिका ने भारत में बनने वाले इस तरह के सामानों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अमेरिका ने इसी तरह का प्रतिबंध चीन पर भी लगाया है. अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी) विभाग ने भारत से लगभग 43 मिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के शिपमेंट पर रोक लगा दी है. यह रोक साल 2022 के जबरन मजदूरी से बने सामानों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून के तहत लगाया गया है. 


अमेरिका की तरफ से लगाए गए इस तरह के प्रतिबंध से पता चलता है कि देश के व्यापार प्रवर्तन एजेंसी की नजर अब सोलर पैनल पर भी है. फिलहाल, सीबीपी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसने किस तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामानों को कब्जे में रखा है. इस मसले को लेकर उद्योग जगत की एक रिपोर्ट है, जिसमें सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जिस शिपमेंट को रोका गया है उसमें सबसे अधिक सौर पैनलों में लगने वाला कच्चा माल पॉलीसिलिकॉन और सोलर पैनल हैं. इस मसले के बारे में जब उद्योग जगत ने सीबीपी से सवाल किया तो तुरंत कोई जवाब नहीं मिला. अमेरिका का यह कानून चीन के शिनजियांग क्षेत्र में बने सामानों पर भी प्रतिबंध लगाता है. 


चीन उइगर मुसलमानों पर हिंसा से करता है इनकार
शिनजियांग के बारे में कहा जाता है कि यहां पर चीनी अधिकारियों ने उइगर और अन्य मुसलिम समुदायों के लिए लेबर कैंप का निर्माण किया है. फिलहाल, चीन हमेशा से उइगर मुसलमानों के साथ किसी भी तरह की हिंसा से इनकार करता रहा है. फिलहाल, पिछले वर्षों में किसी भी भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स शिपमेंट को जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम के तहत कब्जे में नहीं लिया गया.


भारतीय उत्पादकों को लगा झटका
अमेरिका ने जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम के तहत भारत के मात्र 3 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स शिपमेंट के एक छोटे से हिस्से को पिछले सालों में रोका है. लेकिन इतनी बड़ी रकम का सामान रुकना भी भारतीय उत्पादकों के लिए बड़ा झटका है. ये ऐसे भारतीय उत्पादक हैं जो चीनी कंपनियों को मुकाबले अपना सामना अमेरिका में भेजना चाहते थे.


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