अमेरिका ने शुक्रवार को सऊदी अरब के 76 नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध लगाया है. इन सभी पर 2018 में हुयी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का विरोध कर रहे लोगों को धमकाने का आरोप है. अमेरिका ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने पत्रकार जमाल खशोगी को मारने के लिए मंजूरी दी थी. जिसके बाद अमेरिका के स्टेट सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकन ने "खशोगी बैन" के नाम से एक नयी वीजा प्रतिबंध पॉलिसी की घोषणा की.
ब्लिंकन ने कहा कि पत्रकार खशोगी की हत्या ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया था इसलिए हमने इस नई वीजा पॉलिसी को लागू करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों को लेकर हम आज भी प्रतिबद्ध हैं लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडन ने ये साफ कर दिया है कि इस साझेदारी में अमेरिका के आदर्शों के साथ कोई समझौता नहीं होगा.
क्या है "खशोगी बैन"
एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "खशोगी बैन के जरिये उन लोगों पर वीजा प्रतिबंध लगाया जा सकता है जो किसी विदेशी सरकार की तरफ से कार्य करते हुए अमेरिका में उसके खिलाफ हो रहे विरोध को धमकाने या दबाने का प्रयास करते हैं. ऐसे लोग जो विदेशी सरकारों का विरोध कर रहे किसी पत्रकार या अन्य लोगों के साथ साथ उनके परिवार को डराने या धमकाने का प्रयास करते है को भी इसके द्वारा प्रतिबंधित किया जा सकता है." उन्होंने कहा, "इसके साथ ही हमने ये स्पष्ट कर दिया है कि, पत्रकारों, आलोचकों और एक्टिविस्ट को सऊदी अरब से मिल रही धमकियां अब बंद हो जानी चाहिए, अमेरिका अब किसी भी हाल में इन्हें बर्दाश्त नहीं करेगा."
तुर्की में हुयी थी खशोगी की हत्या
गौरतलब है कि पत्रकार जमाल खशोगी की 2018 में तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी अरब के दूतावास में बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में सऊदी की अदालत ने आठ आरोपियों को सितंबर 2020 में सजा सुनाई थी.
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