वाशिंगटन: अमेरिका में जार्ज फ्लॉयड की हत्या को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. इन्हीं विरोध प्रदर्शनों के मद्देनज़र वाशिंगटन में सैनिकों की बड़ी तादाद में तैनाती की गई है. ट्रंप ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि सैनिकों ने विरोध प्रदर्शनों को कुलचने का रास्ता दिखाया है. ट्रंप के इस बयान का काफी आलोचना हो रही है.
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि सोमवार रात व्हाइट हाउस के बाहर की गई कठोर कार्रवाई का राष्ट्रपति ने समर्थन किया है. ट्रंप देश की राजधानी में आक्रामक कार्रवाई कर शेष देश के लिये एक उदाहरण पेश करना चाहते थे. ट्रंप ने फॉक्स न्यूज से बुधवार को कहा, ‘‘आपको वर्चस्व कायम करने वाला सुरक्षा बल रखना होगा. हमें कानून व्यवस्था कायम रखने की जरूरत है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपने देखा कि इन सभी जगहों पर, जहां समस्याएं हुई, वे रिपब्लिकन द्वारा शासित नहीं हैं. वे उदारवादी डेमोक्रेट द्वारा शासित हैं."
राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले पर मिली जुली प्रतिक्रिया
रक्षा विभाग ने भी जरूरत पड़ने पर सैनिकों को तैनात करने के लिये आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं. समाचार एजेंसी एपी ने पेंटागन के दस्तावेजों का अवलोकन कर पाया कि राजधानी में हालात बिगड़ने और नेशनल गार्ड के सुरक्षा नहीं कर पाने की स्थिति में विशेष तैयारी की गई है. इसके लिए थल सेना की एक डिविजन के सैनिकों को व्हाइट हाउस और अन्य संघीय इमारतों की सुरक्षा में लगाये जाने की योजना है. मंगलवार को वाशिंगटन में प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई को ट्रंप के कुछ समर्थकों ने सराहा है जबकि कुछ रिपब्लिकन ने इस बात पर चिंता जताई कि प्रवर्तन अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों के अधिकारों का हनन किया.
प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आकस्मिक योजना
रक्षा मंत्री भी प्रदर्शनकारियों को हटाने के बाद एक चर्च में फोटो खिंचवाने के लिए लाफयेट्ट पार्क के पार पैदल जाने के ट्रंप के फैसले से दूरी बनाते गुए दिखे. सोमवार शाम ट्रंप के साथ सेंट जॉन्स चर्च जाने वाले पेंटागन के प्रमुख मार्क इस्पर ने कहा है कि उन्हें यह नहीं पता था कि राष्ट्रपति कहां जा रहे हैं. गौरतलब है कि एक काले व्यक्ति की मौत के बाद देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. जॉर्ज फ्लॉयड नाम के शख्स को मिनियापोलिस के श्वेत पुलिस अधिकारी ने गिरा कर उसकी गर्दन को घुटने से दबा दिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी.
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