तालिबान के सबसे खूंखार आदमी पर दया दिखा रहा अमेरिका! किया ऐसा काम, जिसकी दुनिया भर में हो रही आलोचना
दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने सिराजुद्दीन हक्कानी और हक्कानी नेटवर्क के अन्य नेताओं के सिर पर रखे इनाम को हटा दिया है. जानें इस फैसले का तालिबान और अफगानिस्तान पर क्या असर होगा.

US Removed Award On Sirajuddin Haqqani: अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान के प्रमुख हिस्सा हक्कानी नेटवर्क की एक बड़ी मुराद पूरी होती दिख रही है. खबरों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने हक्कानी नेटवर्क के सरगना और तालिबान सरकार में गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और उसके करीबी नेताओं के सिर पर रखे इनाम को हटा दिया है. हालांकि, इस दावे की अभी तक अमेरिका की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. अगर यह सच है, तो हक्कानी नेटवर्क के लिए यह एक बड़ी जीत होगी, क्योंकि यह संगठन अफगानिस्तान में कई खूंखार आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसमें भारतीय दूतावास पर हमला भी शामिल है.
अफगानिस्तान के स्थानीय समाचार चैनल टोलो न्यूज के अनुसार, अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृह मंत्री के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि अमेरिकी सरकार ने इस्लामिक अमीरात के कुछ अधिकारियों पर से इनाम हटा लिया है. जिन व्यक्तियों के सिर से इनाम हटाया गया है, उनमें सिराजुद्दीन हक्कानी, अब्दुल अजीज हक्कानी, और याह्या हक्कानी शामिल हैं. एफबीआई दो दशकों से इन आतंकवादियों की तलाश कर रही थी, जो अब तालिबान सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं.
मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में हक्कानी
अभी भी एफबीआई की वेबसाइट पर सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची में है. एफबीआई की वेबसाइट पर जानकारी के अनुसार, सिराजुद्दीन हक्कानी की गिरफ्तारी के लिए सीधे तौर पर सूचना देने पर 10 मिलियन डॉलर तक का इनाम घोषित किया गया था. हक्कानी नेटवर्क के इस प्रमुख नेता को अफगानिस्तान में कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है.
सिराजुद्दीन हक्कानी का पाकिस्तान कनेक्शन
एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सिराजुद्दीन हक्कानी पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में मिराम शाह क्षेत्र में रह रहा था. वह हक्कानी नेटवर्क का वरिष्ठ नेता है और तालिबान तथा अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों के साथ उसके गहरे संबंध हैं. उसे एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में जाना जाता है और उसकी गतिविधियों के कारण उसे अमेरिका और गठबंधन बलों के खिलाफ खतरा माना जाता है.
सिराजुद्दीन हक्कानी पर आरोप
एफबीआई की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, सिराजुद्दीन हक्कानी पर 2008 में काबुल के एक होटल पर हमले का आरोप है, जिसमें एक अमेरिकी नागरिक सहित छह लोग मारे गए थे. इसके अलावा, वह अफगानिस्तान में अमेरिका और उसके गठबंधन बलों के खिलाफ हमलों का समन्वय भी करता था. 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास में भी हक्कानी की भूमिका होने का संदेह है.
हक्कानी नेटवर्क पर ट्रंप प्रशासन की मेहरबानी क्यों?
ऐसा माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन अफगानिस्तान में अपनी रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाना चाहता है. इसके अलावा, तालिबान के अंदर चल रहे धड़ों में विभाजन का लाभ उठाने की कोशिश भी हो रही है. तालिबान वर्तमान में दो धड़ों में बंटा हुआ है—एक धड़े का नेतृत्व हिबतुल्लाह अखुंदजादा कर रहा है, जबकि दूसरे धड़े का नेतृत्व सिराजुद्दीन हक्कानी के हाथ में है. ट्रंप प्रशासन ने 2020 में तालिबान के साथ कतर में एक शांति समझौता किया था, जिसके परिणामस्वरूप अगस्त 2021 में अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी की थी. हालांकि, इसके बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की नागरिक सरकार को गिरा दिया और पूरे देश पर कंट्रोल कर लिया.
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