America Abortion Rights Protest: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की ओर से गर्भपात के अधिकार ( Abortion Rights ) का कानूनी दर्जा खत्म करने के बाद इस पर बहस तेज हो गई है. अबॉर्शन को कानूनी रूप से मंजूरी देने वाले करीब 50 साल पुराने फैसले को पलटने के बाद विरोध के स्वर उठ रहे हैं. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट (US Supreme Court) के बाहर गर्भपात के अधिकार को लेकर प्रदर्शन किया गया. कई दूसरे राज्यों में महिलाओं समते सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. 


अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के समर्थक और विरोधी दोनों तरह के लोग वाशिंगटन डीसी और दूसरे शहरों में सड़कों पर उतरे. लॉस एंजिल्स में डाउनटाऊन सैन जोस से सीजर शावेज प्लाजा पार्क तक एक बड़े मार्च में बदल दिया गया.


गर्भपात के मसले पर विरोध के स्वर तेज


अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने जब रो वी वेड के अपने पुराने फैसले को पलट दिया तो विरोध के स्वर तेज हो गए. प्रो अबॉर्शन अधिकार प्रदर्शनकारियों ने 25 जून को वाशिंगटन की सड़कों के माध्यम से प्रदर्शनों के जरिए लगातार दूसरे दिन मार्च किया. प्रदर्शनकारियों को वाशिंगटन में सुप्रीम कोर्ट की इमारत के बाहर नारे लगाते हुए दिखाया गया है. लोगों का कहना था कि ये फैसला बरकरार नहीं रहना चाहिए. प्रदर्शनकारियों ने कानूनी गर्भपात की मांग की. 






रो वी वेड फैसले को पलटने के बाद प्रदर्शन


अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ऐतिहासिक रो वी वेड फैसले को पलटने के एक दिन बाद शनिवार यानी 25 जून को लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में गर्भपात अधिकार को लेकर प्रदर्शनकारियों ने रैली की. डाउनटाउन लॉस एंजिल्स में सिटी हॉल के बाहर भारी संख्या में महिलाएं और पुरूष जुटे. न्यूयॉर्क, इंडियाना और वाशिंगटन डीसी सहित देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया गया.






अमेरिका में अबॉर्शन का संवैधानिक अधिकार खत्म


दरअसल अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड (Roe v Wade) के अपने 5 दशक पुराने फैसले को शुक्रवार को पलट दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश का संविधान अबॉर्शन का अधिकार नहीं देता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिकी राज्यों को फिर से गर्भपात पर पूरी तरह से बैन लगाने की इजाजत मिल जाएगी. कई राज्य इसे लेकर अपने-अपने अलग कानून बना सकते हैं.  


1973 में क्या दिया था फैसला?


अमेरिका में गर्भपात (Abortion) को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट (US Supreme Court) ने साल 1973 में फैसला दिया था. साल 1973 के फैसले में सुप्रीम अदालत ने कहा था कि गर्भ रखने या न रखने का निर्णय करना महिलाओं का हक है. बहरहाल गर्भपात को लेकर संवैधानिक अधिकार छीने जाने को लेकर ज्यादातर अमेरिकियों में नाराजगी है. राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चिंता जाहिर की थी.


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