America-China News: चीन के बायोलॉजिकल वॉरफेयर कार्यक्रम पर अमेरिका ने उठाए सवाल, रिपोर्ट में आरोपों की बौछार
China Biological Warfare Programme: अमेरिकी संसद को सौंपी रिपोर्ट में पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने साफ तौर से कहा है कि चीन जो बायोलॉजिकल-कार्य करता है उसका 'ड्यूल' यानी दोहरा इस्तेमाल करता है.
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China-America: कोरोना वायरस क्या वाकई चीन (China) की किसी बायोलोजिकल लैब से निकला है? इस पर अभी तक सही-सही जवाब पूरी दुनिया को नहीं मिला था कि अमेरिका (USA) ने एक बार फिर से चीन के बायोलॉजिकल वॉरफेयर कार्यक्रम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, खुद अमेरिका के पास भी इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं है कि चीन ने अपना बायोलॉजिकल वॉरफेयर कार्यक्रम नष्ट कर दिया है या नहीं.
अमेरिकी संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने साफ तौर से कहा है कि चीन जो बायोलॉजिकल-कार्य करता है उसका 'ड्यूल' यानी दोहरा इस्तेमाल करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, 50 से लेकर 80 के दशक तक चीन के पास 'उग्र' बायोलॉजिकल वॉरफेयर प्रोग्राम था. इस दौरान चीन ने एंथ्रेक्स, कोलरा, प्लेग, ट्यूलरेमिया, बोटोलिन्म टॉक्सिन और राइसिन जैसे एजेंट्स को 'वैपेनाइज' किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, 1984 में चीन बायोलॉजिकल एंड टॉक्सिन वैपेन्स कनवेंशन (बीडब्लूसी) का हिस्सा बन गया और 1989 से हर साल बीडब्लूसी कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स (सीबीएम) की रिपोर्ट सौंप रहा है, लेकिन चीन ने कभी इस बात को कबूल नहीं किया है कि उसके पास पहले कोई ओफेंसिव यानी आक्रमक बायोलॉजिकल प्रोग्राम भी था.
पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, बीडब्लूसी के आर्टिकल-1 के तहत चीन को जो अपनी जिम्मेदारी थी उसको लेकर भी अमेरिका को संशय है. इस आर्टिकल के तहत जो भी देश इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करता है उसकी ये जिम्मेदारी होती है कि वो किसी भी तरह से माइक्रोबियल और बायोलॉजिकल एजेंट्स (और टॉक्सिन) को ना तो पैदा करेगा और ना बी उत्पादन, स्टॉकपाइल यानी इकठ्ठा करेगा और ना ही किसी से लेगा या अपने पास रखेगा. इसके अलावा ना ही इनका इस्तेमाल किसी भी युद्ध या फिर संघर्ष के दौरान किया जाएगा.
अमेरिकी रक्षा विभाग की 'मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वॉलविंग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना-2021' नाम की इस रिपोर्ट में साफ तौर से कहा गया है कि चीन (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी पीआरसी) लगातार अपना बायोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है और जरूरी देशों के साथ इस तरह के कार्यक्रमों पर सहयोग ले रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के मिलिट्री संस्थान भी अलग अलग तरह के टॉक्सिन पर काम कर रहे हैं जिनका 'ड्यूल यूज़' है. रिपोर्ट में साफ तौर से लिखा है कि अमेरिका इस तरह के ड्यूल यूज़ यानी दोहरे इस्तेमाल को जैविक-खतरा मानता है.
पेंटागन की ताज़ा रिपोर्ट में चीन की कैमिकल रिसर्च को लेकर भी संशय जताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन फार्मास्युटिकल-बेस्ट एजेंट्स का भी दोहरा इस्तेमाल कर रहा है और इनका इस्तेमाल कैमिकल वैपन के तौर पर भी किया जा सकता है.
आपको बता दें कि अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस यानी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने पिछले हफ्ते अपने देश की कांग्रेस (संसद) के सामने चीन को लेकर जो रिपोर्ट पेश की है उसके मुताबिक, चीन अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षा के अनुरूप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का आधुनिकीकरण 2035 तक और 2049 तक 'वर्ल्ड क्लास मिलिट्री' बनने का सपना पूरा करने की जुगत में बेहद तेजी से जुटा है.
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