America Religious Report: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की कथित गिरावट को लेकर अमेरिकी सरकार के आयोग ने रिपोर्ट जारी है, जिसमें वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन ने लिखा है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों पर हिंसक हमले होते हैं. धार्मिक अशांति फैलाने के लिए गलत जानकारी दी जाती है. इसके अलावा सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि रिपोर्ट में मुस्लिम, वक्फ संशोधन बिल गोहत्या विरोधी कानून की बात की गई है. इन सब के चलते आयोग ने देश को धार्मिक भेद-भाव वाले देशों के लिस्ट में नामित करने का आग्रह किया है.
अपनी सलाना रिपोर्ट में USCIRF ने अमेरिकी विदेश विभाग से ये आग्रह किया है कि वो भारत में धार्मिक स्तर पर हो रहे उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए उसे विशेष चिंता वाले देश के रूप में शामिल करें. हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब अमेरिकी आयोग ने भारत के खिलाफ धर्म संबंधित ऐसा रिपोर्ट जारा किया है. इससे पहले भी उन्होंने ऐसा किया था. लेकिन भारत और अमेरिका के बीच अच्छे संबंध होने की वजह से जो बाइडेन प्रशासन USCIRF द्वारा किए गए आग्रह को मानने से बचता रहा है.
USCIRF ने धर्म संबंधित रिपोर्ट में बातें
USCIRF ने धर्म संबंधित रिपोर्ट में कहा कि भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले USCIRF के लोगों को देश का वीजा देने से इंकार किया है. इसके अलावा वहां धार्मिक नेताओं को मनमाने तरीके से गिरफ्तार कर लिया जाता है. धर्म के आधार पर घरों और धार्मिक पूजा स्थलों को निशाना बनाया जाता है. ऐसी घटनाएं साफ तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन करता है.
धर्म आधारित रिपोर्ट जारी करता है USCIRF
दुनिया के कई देशों को लेकर US Commission on International Religious Freedom (USCIRF) धर्म आधारित रिपोर्ट जारी करता रहा है. वो इसके जरिए अन्य देशों पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहता है. इस रिपोर्ट पर भारत समेत कई अन्य भारतीय-अमेरिकी समूहों ने आरोप लगाया है कि आयोग देश को विश्व स्तर पर बदनाम करता रहता है. इसके लिए वो पक्षपात, बिना सही डेटा और एजेंडा चलाने वाली रिपोर्टिंग करता है. वहीं अगर हलिया रिपोर्ट की बात करें तो आयोग ने भारत के खिलाफ नागरिकता संशोधन अधिनियम, यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कानून के जरिए धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है.
बता दें कि वक्त वक्त पर अलग-अलग मुद्दों को लेकर भारत के मुसलमान मौजूदा सरकार के दौर में भेदभाव की शिकायत हर सतह पर करते रहे हैं.