B-21 Bomber: अमेरिका ने कैलिफोर्निया में किया B-21 बॉम्बर का खुलासा, दुनिया में कहीं भी मचा सकता है तबाही
US Air Force: बी-21 भविष्य में बॉम्बर फोर्स की रीढ़ होगा जिसमें बी-21 और बी-52 खासतौर पर शामिल होंगे. कंपनी की मानें तो यह पहला मौका है जब दुनिया ने छठी पीढ़ी के परमाणु बॉम्बर एयरक्राफ्ट को देखा है.
B-21 Raider: संयुक्त राज्य अमेरिका ने B-21 रेडर स्टील्थ बॉम्बर का अनावरण किया है, जो दुनिया का पहला छठी पीढ़ी का विमान है. इसको जल्द ही अमेरिकी वायु सेना को दिया जाएगा. इस बॉम्बर को नॉर्थरोप ग्रम्मन ने विकसित किया है. इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैथी वार्डन का कहना है कि नॉर्थरोप ग्रम्मन की टीम भविष्य को देखते हुए विज्ञान को आगे बढ़ाने वाली टेक्नोलॉजी बनाती है.
उनका कहना है कि बी-21 रेडर टेक्नोलॉजी में एक नए युग को परिभाषित करता है. इसके साथ ही ये अमेरिका को भी मजबूत करने का काम करेगा. कैलिफोर्निया में हुए समारोह में अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि बी-21 दशकों तक चलने वाला एयरक्राफ्ट है. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि बी-21 बॉम्बर थिएटर बेस्ड नहीं होगा. किसी भी लक्ष्य को मारने के लिए इसे लॉजिस्टिक सपोर्ट की जरूरत नहीं होगी. सबसे बड़ी बात कि इसका पता लगाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.
बी-21 बॉम्बर की खासियत
इसके साथ ही ऑस्टिन ने ये भी कहा है कि बी-21 बॉम्बर अब तक का सबसे अधिक रखरखाव योग्य बॉम्बर होगा. इसको पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के गोला बारूद को सटीक मार के लिए विकसित किया गया है. उन्होंने कहा कि ये विमान सहयोगियों और भागीदारों के साथ एकीकृत करके खुफिया जानकारी भी जुटाने में सक्षम होगा.
मेडल ऑफ ऑनर रेडर के नाम पर एयरक्राफ्ट का नाम
इसके अलावा नॉर्थरोप ग्रम्मन ने एक बयान में बी-21 रेडर को अमेरिकी वायुसेना के लिए रीढ़ बताया है. इसकी छठी जनरेशन में जानकारी जुटाने, छिपकर वार करने जैसी क्षमताएं होंगी. अमेरिकी सैन्य इतिहास में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है. इस एयरक्राफ्ट का नाम भी इसके उपनाम "रेडर" के नाम पर रखा गया है, जो 1942 के डुलबिटल रेड से लिया गया है, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान टोक्यो और जापानी द्वीपों के खिलाफ पहले हमले में लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स डुलबिटल ने सेना का नेतृत्व किया था.
नॉर्थरोप ने कहा, डुलबिटल रेडर्स की बहादुर भावना बी-21 रेडर के नाम के पीछे की प्रेरणा है. बमबारी के दौरान डुलबिटल के सभी विमान नष्ट हो गए, लेकिन वह अंत तक मोर्चे पर डटे रहे. उन्हें मेडल ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया और संयुक्त राज्य अमेरिका लौटने पर उन्हें ब्रिगेडियर जनरल के रूप में प्रोमोशन दिया गया था.
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