अमेरिका का बड़ा बयान- जो अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं, उनके लिए कोई डेडलाइन नहीं, हम मदद करेंगे
अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को पूरी तरह निकाल लिया है. अब अफगानिस्तान पर पूरी तरह से तालिबान का कब्जा है. अमेरिका ने अपने सैनिकों को पूरी तरह निकालने के लिए 31 अगस्त तक की समयसीमा तय की थी.
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अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अमेरिका का बड़ा बयान सामने आया है. अमेरिका ने साफ और कड़े शब्दों में कह दिया है कि जो अफगान अपने देश से निकलना चाहते हैं उनके लिए कोई डेडलाइन नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्री दूसरे देशों के साथ मिलकर अमेरिकी, अफगानी या अन्य किसी देश के नागरिकों को निकालने का काम जारी रखेंगे. यानी कि अफगानिस्तान में फंसे लोग अगर बाहर निकलना चाहते हैं तो अमेरिका उनकी हर संभव मदद करेगा. उनके लिए कोई डेडलाइन नहीं है.
हालांकि अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को पूरी तरह निकाल लिया है. अब अफगानिस्तान पर पूरी तरह से तालिबान का कब्जा है. 30 अगस्त की देर रात करीब एक बजे आखिरी अमेरिकी विमान ने उड़ान भरी. अमेरिका ने अपने सैनिकों को पूरी तरह निकालने के लिए 31 अगस्त तक की समयसीमा तय की थी.
'अफगान लोगों की मानवीय सहायता करना जारी रखेंगे'
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, "हमने काबुल में राजनयिक उपस्थिति खत्म कर दिया है, अपना संचालन दोहा (कतर) स्थानांतरित कर दिया है. अफगानिस्तान से कूटनीति के प्रबंधन के लिए दोहा में पोस्ट का उपयोग करेंगे. अमेरिकी सैन्य उड़ानें खत्म हो गई हैं, हमारे सैनिक अफगानिस्तान से चले गए हैं. लेकिन अमेरिका अफगान लोगों को मानवीय सहायता का समर्थन करना जारी रखेगा. यह सरकार के माध्यम से नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों जैसे स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से होगा. उम्मीद है कि तालिबान या किसी अन्य के द्वारा उन प्रयासों को बाधित नहीं किया जाएगा."
वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भारत की मौजूदा अध्यक्षता में सोमवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई है कि युद्ध प्रभावित देश का इस्तेमाल किसी देश को डराने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाए.
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