America Secret Mission To Kill TTP Terrorists: अमेरिका ने जब अफगानिस्तान में दशकों से चले आ रहे युद्ध को समाप्त कर अपनी सेना को वापस बुला लिया तो उसने यह शर्त रखी थी कि तालीबान सरकार वापस आने के बाद आतंकवादी समूहों को कोई आश्रय नहीं देगा. हालांकि आज की तस्वीर देख कर यही लग रहा है कि तालीबान अमेरिका से किए अपने वादे को खास तवज्जोह नहीं दे रहा है. तालीबान ने अपने पुराने मित्र पाकिस्तान से भी संबंध खराब कर लिए हैं. वो लगातार 'तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान' को सरहद पार से समर्थन दे रहा है.


'मित्र पाकिस्तान' से संबंध खराब


काबुल पर तालीबान के कब्जे का सबसे पहले स्वागत पाकिस्तान ने ही किया था. उस समय की इमरान खान सरकार ने तो तालीबान लड़ाकों को मुजाहिदीन भाई और पाकिस्तान का दोस्त करार दिया था. खुद तत्कालीन पाकिस्तानी आंतरिक मंत्री शेख रशीद ने सार्वजनिक तौर पर कबूला था कि तालीबान आतंकियों के रिश्तेदार उनके देश में पनाह लिए हुए हैं. घायल होने पर इन आतंकियों का इलाज पाकिस्तानी जमीन पर किया जाता है.


अब पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ रही है. अफगानिस्तान की तालीबानी सेना की तरफ से चमन बॉर्डर पर नागरिक आबादी पर अंधाधुंध गोलीबारी की जा रही है. पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू जिले में तालीबान आतंकवादियों ने रविवार को एक आतंकवाद रोधी केंद्र पर कब्जा कर लिया और लोगों को बंधक बना लिया. पुलिस ने कहा कि आतंकवादियों ने छावनी में घुसपैठ की और कैद में जो आतंकवादी थे उनको छुड़वा लिया.


ऐसी स्थिति से न केवल पाकिस्तान में हिंसा बढ़ने का खतरा है, बल्कि अफगान और पाकिस्तानी सरकारों के बीच सीमा पर तनाव में संभावित वृद्धि का भी खतरा है.


अमेरिका के लिए तो सबसे बड़ी चिंता का विषय


तालीबान और पाकिस्तान के बीच तनाव न सिर्फ पाकिस्तान बल्की अमेरिका के लिए भी चिंता का विषय है. दरअसल,पिछले साल तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान के नेता नूर वली महसूद ने सीएनएन को बताया था कि काबुल से अमेरिका को बाहर निकालने में मदद करने के बदले में अब वो चहते हैं कि पाकिस्तान में उनकी लड़ाई में अफगान तालीबान से उनको समर्थन मिले. बता दें कि तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान में अपने देश की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है और अपना सख्त इस्लामिक कानून लागू करना चाहता है.


इस सप्ताह सीएनएन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, महसूद ने इस्लामाबाद पर युद्धविराम के टूटने का आरोप लगाते हुए कहा, "उन्होंने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और हमारे दस साथियों को शहीद कर दिया और दस को गिरफ्तार कर लिया."


जब महसूद से सीधे पूछा गया कि क्या अफ़ग़ान तालीबान अब उसके समूह की मदद कर रहा है, जैसा कि उसने एक बार उम्मीद जताई थी तो इसके जवाब में उसने कहा, ''हम पाकिस्तान की सीमा के भीतर से पाकिस्तान का युद्ध लड़ रहे हैं. पाकिस्तानी मिट्टी का इस्तेमाल कर दशकों तक लड़ने की क्षमता हमारे अंदर है.''


महसूद के इस बयान ने पाकिस्तान के साथ अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है. FBI कम से कम डेढ़ दशक से TTP पर नज़र रख रही है.  तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान ने ही  2010 में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में एक वाहन में ब्लास्ट के लिए फ़ैसल शाज़ाद नामक व्यक्ति को ट्रेनिंग दी थी.  टाइम्स स्क्वायर हमले के बाद टीटीपी को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया था और इसे अभी भी अमेरिकी हितों के लिए खतरा माना जाता है.


इस साल अप्रैल में पाकिस्तानी सेना ने कहा था कि टीटीपी आतंकवादी पाकिस्तान के अंदर गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अफ़गानिस्तान की धरती का उपयोग कर रहे हैं. अभी हाल ही में नवंबर में, युद्धविराम टूटने के अगले दिन, इस्लामाबाद ने फिर से दावा किया कि टीटीपी अफगान क्षेत्र को एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. अगले ही दिन टीटीपी ने क्वेटा के सीमावर्ती प्रांत में हमले की जिम्मेदारी ली, जहां एक आत्मघाती हमलावर ने पोलियो टीकाकरण टीम की मदद करने वाली एक पुलिस वैन को निशाना बनाया था, जिसमें तीन की मौत हो गई थी और 23 घायल हो गए थे.


युद्धविराम समाप्त होने के तीन दिन बाद एक बयान में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी पाकिस्तानी तालीबान पर अफगान क्षेत्र का उपयोग करने का आरोप लगाया है. अमेरिका के विदेश विभाग ने कारी अमजद को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया है. इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि अमेरिका अफगानिस्तान में सक्रिय पाए गए टीटीपी कमांडरों को निशाना बना सकता है. ठीक उसी तरह जैसे उसने सितंबर में काबुल में ड्रोन हमले में अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था.


अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा, ''संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा और तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान (टीटीपी) सहित अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों द्वारा उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है.''

नूर वली महसूद की अमेरिका को धमकी


तहरीक-ए-तालीबान पाकिस्तान के नेता नूर वली महसूद ने अमेरिका को लेकर कहा,'' अमेरिका को पाकिस्तान की शह पर अनावश्यक रूप से हमारे मामलों में दखल देकर हमें चिढ़ाना बंद करना चाहिए. यह क्रूर फैसला अमेरिकी राजनीति की विफलता को दर्शाता है. अगर अमेरिका ने ऐसा कदम उठाया तो उसके नुकसान के लिए अमेरिका खुद जिम्मेदार होगा. पाकिस्तान सरकार की दोगली नीति को अमेरिका अभी तक नहीं समझ पाया है.