US Congress के उच्च सदन सीनेट ने चीन के शिनजियांग प्रांत से आयात पर रोक लगाने को अंतिम मंजूरी दी. हालांकि, विधेयक में उन उत्पादों को छूट दी गई है जिसमें यह प्रमाणित किया गया हो कि उनका उत्पादन जबरन श्रमिकों से नहीं कराया गया है. इससे संबंधित विधेयक को व्हाइट हाउस की शुरुआती हिचकिचाहट और विपक्ष के सहयोग से पारित किया गया है.


चीन पर की जा रही दंडात्मक कार्रवाई की श्रृंखला में यह नया कदम उठाया गया है. अमेरिका का आरोप है कि चीन बड़े पैमाने पर पश्चिमी क्षेत्र में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न कर रहा है, विशेषतौर पर शिनजियांग में जहां पर उइगर मुस्लिमों का वर्चस्व है.


संसद से मिली मंजूरी


बाइडन (अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन) प्रशासन ने भी बृहस्पतिवर को चीन की बायोटेक और निगरानी कंपनियों को निशाना बनाते हुए कई नए प्रतिबंधों की भी घोषणा की जिनमें प्रमुख ड्रोन निर्माता कंपनी और सरकारी प्रतिष्ठान भी हैं जिन पर यह कार्रवाई शिनजियांग में उनकी गतिविधि की वजह से की गई है.


चीन पर पाबंदी लगाने के प्रावधान वाले विधेयक को संसद मंजूरी मिलने के बाद यह राष्ट्रपति जो बाइडन के पास अंतिम मंजूरी के लिए जाएगा. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि इस सप्ताह बाइडन ने इस कदमों का समर्थन किया है. इससे पहले महीनों तक वह इस विधेयक के संस्करण को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी राय व्यक्त करने से बच रहे थे.


अमेरिका का आरोप है कि चीन उइगरों का जनसंहार कर रहा है जिनमें मानवाधिकार समूहों और और पत्रकारों की खबरों को आधार बनाया है जिनमें बड़े पैमाने पर उइगरों के लिए नसबंदी कार्यक्रम चलाने और लोगों को हिरासत में रखकर जबरन मजदूरी करने के दावे किये गये हैं. हालांकि, चीन इन आरोपों से इनकार करता है.


जबरन करवाया जाता है काम


उल्लेखनीय है कि अमेरिका कच्चा कपास, दस्ताने, टामटर उत्पाद, सिलिकॉन, सौर ऊर्जा उत्पादन में लगने वाले उपकरण का आयात करते हैं जिनमें से अधिकतर का उत्पादन माना जाता है कि शिनजियांग में मजदूरों से कथित जबरन कराया जाता है.


ऑर्गेन से डेमोक्रेटिक सीनेटर जेफ मर्कले के साथ फ्लोरिडा से रिपब्लकन सीनेटर मार्को रुबियो के साथ विधेयक पेश करते हुए कहा, ‘‘ कई कंपनियां पहले ही चीनी उत्पादों से मुक्त आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए कदम उठा चुकी हैं और सच कहूं तो उन्हें इस कानून से कोई चिंता नहीं करनी चाहिए.’’


सीनेट ने इसके साथ ही चीन के लिए अमेरिकी राजदूत के तौर पर बाइडन प्रशासन द्वारा नामित निकोलस बर्न के नाम को भी 18 के मुकाबले 75 मतों से मंजूरी दे दी.


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